झारखंड में दिल्ली की तर्ज पर खुलेंगे `मोहल्ला क्लीनिक`
मुहल्ला क्लीनिक में चिकित्सक आउटसोर्सिग पर रखे जाएंगे, जिन्हें मरीज देखने के अनुसार पैसे का भुगतान किया जाएगा.
रांची: झारखंड के शहरी स्लम इलाकों में रहने वालों को अब छोटी-छोटी बीमारियों के लिए अस्पतालों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं मुहल्ले में ही मिल जाएंगी. झारखंड सरकार दिल्ली की तर्ज पर मुहल्ला क्लीनिक खोलने जा रही है. ये राज्य के सभी स्लम क्षेत्रों में खोले जाएंगे.
झारखंड स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "स्लम क्षेत्र में 15,000 की आबादी पर एक मुहल्ला क्लीनिक खोला जाएगा. झारखंड में फिलहाल स्लम क्षेत्रों की जनसंख्या के मुताबिक 25 मुहल्ला क्लिनिक स्थापित किए जाएंगे. शुरुआत में इसकी संरचना अस्थायी होगी, जिसे कभी भी स्थानांतरित किया जा सकेगा."
अधिकारी के मुताबिक, मुहल्ला क्लीनिक में बाह्यरोगी विभाग, टीकाकरण सेवाएं, प्रसव पूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल तथा परिवार नियोजन की सेवाओं सहित कई अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. उन्होंने बताया कि टीबी, मलेरिया की पहचान के लिए बलगम एवं रक्त नमूना संग्रह एवं तेजी से फैलने वाली सामान्य बीमारियों के उपचार की सुविधा भी मुहल्ला क्लीनिक में होगी.
मुहल्ला क्लीनिक में चिकित्सक आउटसोर्सिग पर रखे जाएंगे, जिन्हें मरीज देखने के अनुसार पैसे का भुगतान किया जाएगा. झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने आईएएनएस से कहा कि शहरी क्षेत्र में झोपड़ियों में रहने वाले आर्थिक अभाव के कारण या समयाभाव के कारण सही समय पर चिकित्सा सुविधाएं नहीं ले पाते हैं.
उन्होंने कहा, "मजदूरी करने वालों को इलाज के लिए एक दिन का काम तक छोड़ना पड़ता था. ऐसे लोगों के लिए सरकार मुहल्ला क्लीनिक स्थापित करने जा रही है. यह क्लीनिक सुबह और शाम संचालित रहेगी. बड़ी बीमारियां होने पर ऐसे मरीजों को बड़े अस्पतालों में रेफर किया जा सकेगा." चंद्रवंशी का मानना है कि मुहल्ला क्लीनिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की तरह होगा, जिसमें मामूली बीमारियों से निजात दिलाया जाएगा. यहां मरीज को दवा, डॉयग्नोस्टिक सहित डॉक्टरी सुझाव नि:शुल्क मिलेंगे.
स्वास्थ्य विभाग मुहल्ला क्लीनिक के जरिए सरकारी अस्पतालों में भीड़ कम करना चाहती है. यहां गंभीर बीमारियों से लेकर हल्की बीमारियों जैसे सर्दी-जुकाम, बुखार के मरीज घंटों लाइन में खड़ा रहकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं. ऐसे में मुहल्ला क्लीनिक लोगों को इससे निजात दिलाएगी. मंत्री ने स्पष्ट कहा कि ये क्लीनिक 'अवेयरनेस जनरेशन सेंटर' के रूप में भी चलेंगे.
उन्होंने कहा, "कई बीमारियां ऐसी हैं, जो गरीबी, अशिक्षा, जानकारी की कमी, साफ-सफाई, स्वच्छता एवं सेहत के प्रति उदासीनता की वजह से फैलती हैं. अगर इन बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए तो ऐसी बीमारियों को रोका जा सकता है. मुहल्ला क्लीनिक लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी करेगा."
स्वास्थ्य विभाग के सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी ने बताया कि मुहल्ला क्लीनिक के प्रस्ताव पर योजना प्राधिकृत समिति की स्वीकृति भी मिल गई है, और इसे जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा. झारखंड में स्वास्थ्य के क्षेत्र में वर्षो से काम कर रही संस्था 'लाइफ सेवर्स' के प्रमुख अतुल गेरा भी झारखंड में मुहल्ला क्लीनिक खोलने की योजना को सही मानते हैं.
उन्होंने कहा, "मुहल्ला क्लीनिक से छोटे पॉकेट तक में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने लगेंगी, जिससे बीमारी के छोटे रूप में भी लोग चिकित्सा परामर्श या इलाज करा सकेंगे. इससे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों की कमी या छोटी बीमारियों में चिकित्सकों द्वारा बड़े अस्पतालों में मरीजों को रेफर कर दिए जाने की समस्या से भी लोगों को छुटकारा मिलेगा."
उल्लेखनीय है कि मुहल्ला क्लीनिक का विचार सबसे पहले राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने 2015 में पेश किया था और 2018 तक दिल्ली में 187 मुहल्ला क्लीनिक हो संचालित रहे हैं. दिल्ली सरकार ने साल 2020 तक 1000 मुहल्ला क्लीनिक स्थापित करने का लक्ष्य रखा है.