पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के निधन के बाद बिहार में शोक, सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष ने ऐसे जताया दुख
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का निधन दिल्ली के एम्स अस्पताल में हो गया है. उनका इलाज 9 अगस्त से ही दिल्ली एम्स में चल रहा था.
पटनाः बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का निधन दिल्ली के एम्स अस्पताल में हो गया है. उनका इलाज 9 अगस्त से ही दिल्ली एम्स में चल रहा था. इस बीच कई बार उनकी हालत गंभीर हुई थी. लेकिन बाद में हालत स्थिर हो गई थी, लेकिन दो-तीन दिन से उनकी हालत काफी गंभीर थी. उनसे मिलने और हाल जानने के लिए लगातार लोग वहां पहुंच रहे थे.
शनिवार दोपहर को एम्स की ओर से कहा गया कि अरुण जेटली का निधन हो गया है. उन्होंने शनिवार दोपहर 12.07 बजे अंतिम सांस ली. बता दें कि उन्हें एक्स्ट्राकारपोरल मेंब्रेन ऑक्सीजनेशन (ECMO) और इंट्रा ऐरोटिक बैलून (IABP) सपोर्ट पर रखा गया था.
अरुण जेटली की आकस्मिक निधन से बीजेपी समेत देश के अन्य पार्टियों के नेताओं ने भी शोक जताया है. वहीं, बीजेपी के सभी बड़े नेता अपने सारे कार्यक्रम को रद्द कर दिल्ली वापस आ रहे हैं.
वहीं, बिहार में भी अरुण जेटली की मौत पर शोक की लहर फैल गई है. यहां सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष के नेता सभी अरुण जेटली के निधन होने पर दुख जता रहे हैं.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ट्विट कर कहा कि अरुण जेटली मेरे गुरु, दोस्त और नेता अब नहीं रहे. यह ऐसा नुकसान है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती है.
विपक्ष नेता तेजस्वी यादव ने भी दुख जताते हुए कहा कि, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली जी के असामयिक निधन से मन व्यथित है. भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें.
बीजेपी के फायरब्रिगेड नेता गिरिराज सिंह ने अपने ट्विट कर अपने सारे कार्यक्रम रद्द होने की सूचना दी और कहा कि हम दिल्ली वापस जा रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि, बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण दौर से गुज़र रही है हिंदुस्तान की राजनीति ..हमने कुछ ही दिनों में अपने कई स्तम्भ खो दिए है. हम सब मर्मआहत है.
जेडीयू नेता केसी त्यागी ने भी दुख जाहिर करते हुए कहा कि यह काफी खराब समय है जब देश बड़े नेताओं को खो रहा है. वह काफी दुखी है कि उनकी आक्समिक निधन हो गया है.
आपको बता दें कि अरुण जेटली बीजेपी के बड़े नेता थे. उन्होंने काफी उपलब्धि हासिल की थी. उनका जन्म 1952 में दिल्ली में हुआ था. उन्होंने कानून की पढ़ाई की थी और पढ़ाई के दौर में ही वह छात्र नेता बने थे. 1975 में देश में लगे आपातकाल का विरोध करने के पर उन्हें 19 महीनों तक नजरबंद रखा गया था. 1973 में वह जयप्रकाश नारायण और राजनारायण द्वारा चलाए जा रहे भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में भी सक्रिय रहे. नजरबंदी खत्म होने के बाद उन्होंने जन संघ पार्टी ज्वाइन की. जेटली ने जून 2009 को वकालत रोक दी. उन्हें राज्यसभा में 2009 से 2014 तक नेता विपक्ष बनाया गया था.