शेल्टर होम केस : मीडिया रिपोर्टिंग पर लगी रोक मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज
हाईकोर्ट ने 23 अगस्त को इस मामले की जांच का विवरण लीक होने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए मीडिया से कहा था कि वह इसे प्रकाशित करने से बचे, क्योंकि यह जांच के लिए अहितकर हो सकता है.
नई दिल्ली/मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस की सीबीआई जांच की मीडिया में रिपोर्टिंग पर पटना हाईकोर्ट के रोक के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. कोर्ट ने कहा था कि मीडिया के लिए बने गाइडलाइन का पालन होना चाहिए और रिपोर्टिंग पर पूरी तरह से रोक सही नहीं लगती. कोर्ट ने पीड़ितों से बात करने के लिए वकील नियुक्त करने के हाईकोर्ट के आदेश पर भी रोक लगा दी थी.
दरअसल, वकील फौजिया शकील के माध्यम से एक पत्रकार द्वारा दायर याचिका में हाईकोर्ट के 23 अगस्त के आदेश के अमल पर रोक लगाने की मांग की गई है. याचिका में इस आदेश को पूरी तरह गलत बताते हुए कहा गया है कि यह इस मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने जैसा है. याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इस तरह से नागरिकों को जानकारी प्राप्त करने और प्रेस की आजादी के मौलिक अधिकारों को नजरअंदाज करना न्यायोचित नहीं है.
आपको बता दें कि सीबीआई मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में अनेक लड़कियों के कथित रूप से बलात्कार और यौन शोषण की घटनाओं की सीबीआई जांच कर रही है.
जांच रिपोर्ट लीक होने पर हाईकोर्ट ने जताई थी नाराजगी
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की सीबीआई जांच की निगरानी हाईकोर्ट कर रहा है. हाईकोर्ट ने 23 अगस्त को इस मामले की जांच का विवरण लीक होने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए मीडिया से कहा था कि वह इसे प्रकाशित करने से बचे, क्योंकि यह जांच के लिए अहितकर हो सकता है. एक गैरसरकारी संस्था द्वारा संचालित इस आश्रय गृह में कथित बलात्कार और यौन शोषण की घटनायें मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के सोशल आडिट के बाद सामने आई थी.
पत्रकार ने बताया अधिकारों का हनन
याचिका दायर करने वाले पत्रकार ने दावा किया है कि मीडिया रिपोर्टिंग से इस मामले की जांच प्रभावित होने के नतीजे पर पहुंचने के लिये हाईकोर्ट के पास कोई सामग्री नहीं थी. याचिका में हाईकोर्ट के आदेश को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) में प्रदत्त अधिकारों पर सीधा कुठाराघात बताया गया है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि मीडिया की सकारात्मक भूमिका की वजह से ही हतप्रभ करने वाली यह घटना सामने आई और इस तरह से जांच की रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगाया जाना मनमाना है. याचिका में यह भी कहा गया है कि मुजफ्फरपुर मामले की मीडिया रिपोर्टिंग के कारण ही बिहार के आरा में किशोर गृह में लड़के शारीरिक और यौन शोषण के बारे में अपने माता पिता से शिकायत करने का साहस जुटा सके. शीर्ष अदालत ने इससे पहले मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की घटना की कथित पीड़ितों के बार बार लिये जा रहे इंटरव्यू और उनके प्रकाशन तथा प्रसारण को लेकर पटना निवासी रणविजय कुमार के पत्र का संज्ञान लिया था.