मुजफ्फरपुर: बिहार में एक तरफ भीषण गर्मी के कहर से लोगों की लगातार मौत हो रही है तो दूसरी ओर चमकी बुखार के कारण बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. बिहार में जहां चमकी बुखार से 110 बच्चों की मौत हो चुकी है वहीं,  मुजफ्फरपुर के बाद अब एईस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) से कई और भी जिले प्रभावित हो रहे हैं. 


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वहीं, मुजफ्फरपुर में चमकी बीमारी में केंद्र और राज्य सरकार कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार अपने स्तर से कुछ विशेष पैकेज अस्पताल को नहीं दिया है. 


अस्पताल के अधीक्षक डॉ.एस.के शाही ने बताया कि एईएस के लिए जो वार्ड नया स्टेबल किया गया है उसमें अस्पताल के फंड से एसी लगवाया गया है. हमारे पास जो पर्याप्त संसाधन है उसे इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकारी स्तर पर न तो केंद्र से न राज्य से कोई विशेष पैकेज या संसाधन नहीं दिया गया है


एसकेएमसीएच के अधीक्षक सुनील शाही ने ये भी बताया कि सरकारी स्तर से उन्हें खुली छूट दी गई है इस बीमारी के खर्च के लिए दिया गया है. हालांकि ये काफी चौंकाने वाली बात है कि जिस अस्पताल में ज्यादातर चमकी बुखार पीड़ित बच्चों का इलाज चल रहा है उस अस्पताल को सरकार ने किसी तरह का पैकेज अब तक नहीं दिया है.


आपको बता दें कि मुजफ्फरपुर के बाद चमकी बुखार बिहार के अन्य जिलों में भी अपना पैस पसारना शुरू कर दिया है.  स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी का कहना है कि महामारी के रुप ले चुके एआईएस से बचाव के लिए मोतिहारी सदर अस्पताल में समुचित व्यवस्था की गई है. आपको बता दें कि चमकी बुखार से पीड़ित होने वाले अधिकांश बच्चे कुपोषण के शिकार हैं जो महादलित परिवार के हैं.


रविवार को खुद स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को मुजफ्फरपुर का दौरा किया. दौरा करने के बाद हर्षवर्धन ने कहा, "बीमारी की पहचान करने के लिए शोध होना चाहिए, जिसकी अभी भी पहचान नहीं है और इसके लिए मुजफ्फरपुर में शोध की सुविधा विकसित की जानी चाहिए."