बगहा : बगहा के पश्चिम चंपारण जिला के एक कलाकार ने इको फ्रेंडली फ्रीजर का निर्माण किया है. जो पीएम मोदी के मन की बात से इंस्पायर है, यहीं वजह है कि इस वोकल फॉर लोकल की गई. तकनीक व मिट्टी से निर्मित फ्रीज की मांग अब देश के बड़े शहरों में होने लगी है. लिहाजा प्रशासन की ओर से हरी झंडी को पीएम स्वरोजगार योजना के तहत मदद करने का भरोसा आईएएस दीपक मिश्रा ने उनके गांव जाकर दिलाया है.


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500 रुपये में मिलेगा देशी फ्रीजर
बता दें कि बगहा में 500 रुपये में देशी फ्रीजर मिल रहा है. ये फ्रीज पीने के पानी को 48 घण्टों तक नेचुरली चिल्ड रखेगा. बता दें कि देश की राजधानी दिल्ली समेत पटना से डिमांड आर्डर मिल रहे हैं. मेक इन इंडिया और वोकल फॉर लोकर की खूब चर्चा हो रही है. पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत से इंस्पायर हरि पंडित की कारस्तानी ने मिट्टी से देशी फ्रिजर बनाया है. इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता जयेश मंगल सिंह के प्रयास से प्रशासन ने सुध ली है. बगहा 1 प्रखंड के परसा बंचहरी स्थित हरि पंडित के घर आईएएस अधिकारी पहुंच रहे हैं और पीएम स्वरोजगार योजना के तहत बढ़ावा का भरोसा दिलाया है.


लोगों को पंसद आ रहा इको फ्रेंडली फ्रीजर
हरि पंडित ने बताया की वैसे तो उनका यह पुश्तैनी कारोबार है. जिसे उनके दादा परदादा करते चले आ रहे हैं. उन्हें भी यह कारोबार पसंद आया और ये करने लगे. उन्होंने बताया की आम दिनों की तरह मैं भी परिवार के भरण पोषण के लिए मिट्टी के दीये, मटका, घड़ा, पतुकी, ग्लास वगैरह बना कर बेचा करता था, लेकिन इन बर्तनों के बराबरी में बाजार में कुछ साल पहले आये कागज, कूट और प्लास्टिक के बर्तनों की डिमांड बढ़ती जा रही है. चुकी परिवार के पालन पोषण का यहीं एक मात्र जरिया है. बाजार में मिट्टी के बने बर्तनों की मांग कम होते देखते हुए माननीय प्रधानमंत्री के आत्म निर्भर भारत को आत्मसात करते हुए मैंने निर्णय लिया कि क्यों न मिट्टी के किसी ऐसे बर्तन का निर्माण किया जाए, जो अपने आप में अजूबा हो और आम आदमी से लेकर सब के लिए फायदेमंद व सस्ता हो. बस पीने की पानी को ठंढा करने के लिए मिट्टी के इस जार के निर्माण की बात सोची और काफी प्रयास के बाद आज आप के सामने है. इसके अलावा बता दें कि इस जार की खासियत है की इसमें रखा हुआ पानी 48 घंटे तक फ्रिज में रखे पानी की तरह बिल्कुल चिल्ड (ठंढा) रहता है. इतना ही नहीं पानी खराब भी नहीं होता है. मिट्टी के इस जार में पानी को रखने के बाद पानी का स्वाद भी बदल जाता है. इसमें आम आदमी को फ्रिज चलाने के लिए बिजली की आवश्यकता नहीं होती है जिससे आर्थिक बचत भी होती है.


कैसे तैयार होता है इको फ्रेंडली फ्रीजर
बता दें कि मिट्टी के इस जार को आग और धूप में न पकाकर छांव में सुखाया जाता है. क्योंकि यह जार साधारण मिट्टी से हीं बनाया जाता है, लेकिन इसके लिए मिट्टी के गुथने का तरीका अलग है. इसके निर्माण की मिट्टी को गुथने में और की वनिस्पत अधिक समय लगता है. पूरे एक दिन में एक ही जार तैयार हो पाता है, लेकिन इसे पूरी तरह तैयार करने में 15 दिन का समय लगता है. चुकी निर्माण के बाद 14 दिनों तक सिर्फ छांव में सुखाया जाता है. इसे न आग में पकाया जाता है और न हीं धूप में सुखाया जाता है. काफी सावधानी पूर्वक देखरेख में छांव में सुखाने का काम किया जाता है. तब इसका रंग रोगन किया जाता है. जार में पानी डालने के लिए ऊपर एक ढक्कन होता है और फिर पानी निकालने के लिए नीचे में एक नल भी लगाया गया है ताकि जार को बगैर हिलाए डुलाए भी पीने का पानी आसानी से निकाल लिया जाए.


हरि बताते हैं की मिट्टी की मेहनत को देखा जाए तो एक जार के निर्माण में 350 रुपये की लागत आती है और इसे बाजार में उनके द्वारा 500 रुपये में बेचा जाता है. उन्होंने बताया की पहले उन्होंने स्वयं इसे बनाकर इसमें पानी रखकर एक्सपेरिमेंट किया. तब बाजार में उतारा. अभी मुश्किल से एक माह हुए इसको बनाते हुए और अभी तक 25 से ज्यादा जार वे बेच चुके हैं. जो राज्य की राजधानी पटना तक के लोग ले गए हैं. इधर पटना व दिल्ली से ही करीब 50 जार बनाने के ऑर्डर मिले हैं, जिसकी तैयारी में वे लगे हुए हैं. इनका कहना है कि अगर ज्यादा संख्या में ऑर्डर मिलता है तो मांग के अनुसार और अधिक मजदूरों व खर्च की आवश्यकता होगी. साथ ही कुछ लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा. जो मेक इन इंडिया में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा.


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