बिहार में चर्चा का विषय बना मुजफ्फरपुर के भिखारियों का बैंक, ऐसे होता है काम
सप्ताह में एक दिन निश्चित जगह पर बैंक लगता है. जहां भिखारी अपना पैसा जमा करते हैं. बैंक की खास बात यह है कि ये किसी इमारत या ऑफिस में नहीं चलता बल्कि निश्चित जगह पर चटाई बिछा दी जाती है.
मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में भिखारी अपना खुद का बैंक चला रहे हैं. इस बैंक में आम बैंकों की तरह राशि भी जमा होती है और जरूरत पड़ने पर लोगों को कर्ज भी दिया जाता है. इतना ही नहीं, जमा राशि पर ब्याज का भी प्रावधान हैं.
चटाई पर चलता है भिखारी बैंक
सप्ताह में एक दिन निश्चित जगह पर बैंक लगता है. जहां भिखारी अपना पैसा जमा करते हैं. बैंक की खास बात यह है कि ये किसी इमारत या ऑफिस में नहीं चलता बल्कि निश्चित जगह पर चटाई बिछा दी जाती है. एक पेटी होती है जिसमें पैसा रखा जाता है.
उधर, सभी भिखारियों ने मिलकर सेल्फ हेल्प ग्रुप का निर्माण किया है. जिले भर में 10-10 लोगों के ऐसे ग्रुप बने हैं. जिनकी सप्ताह में एक दिन बैठक होती है. मीटिंग में भविष्य की योजनाओं पर ये ग्रुप विचार करते हैं. जिले में बहरहाल 5 जगहों पर भिखारी बैंक चल रहे हैं.
जिले में पांच जगह पर चलता है बैंक
बैंक से जुड़ी महिलाएं बताती हैं कि वो अपने कमाए पैसों में से कुछ पैसा बैंक में जमा कर देती है. जरूरत पड़ने पर वो आसानी से पैसा निकाल भी लेती है. एक महिला ने बताया कि वो महीने में 20 रुपये बैंक में जमा करती है. अबतक करीब 700 रुपये वो जोड़ चुकी है. जिसपर उसे ब्याज भी मिल रहा है. इस बैंक से छोटे काम करने वाले लोग भी जुड़ रहे हैं.
मदद के लिए सरकार ने बढ़ाए हाथ
वहीं, समाजिक सुरक्षा कोषांग के क्षेत्र समन्वयक निपेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि भिखारियों के समूह की ओर से चलाए जा रहे इस बैंक की जानकारी मिलने पर सरकार ने भी इनकी मदद शुरू कर दी है. उनके मुताबिक भिखारियों के लिए विशेष ऋण और इनके समूह के सरकारी बैंकों में खाता खुलवाने की पहल की जा रही है. उन्होंने बताया कि साथ ही मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति योजना के तहत भी मानसिक रूप से स्वास्थ्य भिखारियों को आर्थिक ऋण दिया जाता है. जिससे वो भीख नहीं मांगकर स्व रोजगार जैसे सब्जी बेचना, ठेला या रिक्शा चलाना जैसे छोटे रोजगार कर जीवन यापन कर सके.
भिक्षावृत्ति योजना का मिल रहा लाभ
निपेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया की करीब 42 लोगों को इस योजना का लाभ दिया गया है. उन्होंने बताया कि इस योजना से जोड़ने के लिए वे स्टेशन, मंदिरों और हर उन जगहों पर जाते हैं जहां भिखारी भीख मांगते हैं. निपेंद्र के मुताबिक, वहां जाकर वो भिखारियों को समझा बुझा कर इस योजना से जोड़ने का करते हैं. उन्होंने बताया कि सर्वे के अनुसार जिले में करीब 657 भिखारियों की संख्या है.
(इनपुट: मणितोष कुमार)