बगहा: Chhath Puja 2023: बिहार समेत देश विदेश में आस्था और उपासना के महापर्व छठ की धूम देखने को मिल रही है. नेपाल और यूपी सीमा पर स्थित पश्चिमी चंपारण जिला के दियारावर्ती इलाकों में किसान पारंपरिक खेती को छोड़ व्यावसायिक तौर पर केला की खेती कर दोहरा लाभ उठा रहे हैं. लोक आस्था के महापर्व में चम्पारण का मशहूर हरिछाल केला ख़ास तौर पर बेहद उपयोगी है जो छठव्रतियों के दउरा सूप से लेकर छठ घाटों तक सब जगह इस्तेमाल किया जा रहा है. जिसकी धार्मिक रूप से भी विशेष महत्व है.


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दरअसल गंडक दियारा क्षेत्र के किसानों का रुझान केले की खेती की तरफ बढ़ा है और हरिछाल प्रजाति के केले की खेती से उनके जीवन में भी हरियाली आ रही है. वैसे तो किसी भी पर्व-त्योहार में फल के तौर पर केला का काफी महत्व है. लेकिन छठ पर्व में भी इसका महत्व बढ़ जाता है. बताया जा रहा है की दियारा के किसान धान और गेहूं जैसे पारंपरिक खेती को छोड़ केले की बंपर पैदावार कर रहे हैं. इससे उनको भारी मुनाफा भी हो रहा है. किसानों का कहना है की इससे नकदी मुनाफा होता है.वे इसकी खेती मई जून माह में ही शुरू कर देते हैं. जब त्योहारों का सीजन आता है तो उनके केले की डिमांड बढ़ जाती है. छठ में ये हरिछाल केला खूब बिक रहा है.


वहीं व्यापारियों का कहना है की दियारा के इलाकों में केले की अच्छी उपज हुई है और यहां उपजने वाले केला ग्राहकों को भी काफी पसंद आ रहा है. लिहाजा वे प्रतिदिन एक से दो ट्रक केला खरीदकर ले जाते हैं और बाजारों में सप्लाई करते हैं . फ़िलहाल केला 40 से 60 रुपये दर्ज़न तक बिक़ रहा है. सूर्य उपासना में छठी मईया को केला चढ़ाया जाता है. साथ हीं कुछ लोग केला के घौंद से भी अर्घ्य देते हैं. इसलिए केला का महत्व छठ पर्व में और अधिक बढ़ जाता है.


इनपुट- इमरान अजीज


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