मक्के के छिलके से बनाया कप-प्लेट दोना, प्लास्टिक बैन के बाद बना सबसे बेहतर विकल्प
पिछले कई दिनों से इलाके में कोसी से भीषण कटान हो रही है. प्रशासन यहां सिर्फ कटाव निरोधी कार्य के नाम पर खाना पूर्ति कर रही थी, जिसका खामियाजा यहां के लोगों को भुगतना पड़ रहा है. वहीं कोसी में घर चले जाने से यहां लोग रुआंसे हो रहे है. अपनी आंखों के आगे चुन-चुनकर लगाई गई ईंटें नदी में समा रही हैं.
मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर के मुरादपुर में पहुंचे राज्य सरकार के मंत्री जीवेश मिश्रा मक्के की पत्तियों के छाल से तैयार कटोरी और प्लेट के प्लांट का उद्घाटन किया. प्लास्टिक को देश से समाप्त करने के लिए इससे बेहतर विकल्प नहीं हो सकता है. कुढ़नी प्रखंड के मुरादपुर गांव में शोधार्थी छात्र मो नाज ओजेर के बनाए गए मक्के की छिलका से तैयार कर देश ही नहीं राज्य का नाम रोशन किया. प्लास्टिक रोक के बाद इस प्रकार का विकल्प कोई अन्य नही हो सकता है.
मंत्री ने बताया सार्थक कदम
मुजफ्फरपुर में पहुंचे बिहार सरकार के मंत्री ने कहा देश भर में प्लास्टिक पर रोक लगाई जाने के बाद देश भर में इसके विकल्प की तलाश और प्लास्टिक के प्रयोग नहीं हो इसको लेकर केंद्र सरकार की पाबंदी ऐतिहासिक है, और इसको लागू करने का प्रयास पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बेहतरीन कदम है. इसको लेकर के अब भी लगातार काम किया जा रहा है और उन्होंने कहा कि मो नाज के द्वारा बनाया गया यह विशेष निर्माण पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बेहतर कदम है और यह प्रेरणा को प्रदान देने वाला है, राज्य के साथ केंद्र की सरकार इसको लेकर के लगातर काम और प्रयास कर रही है.
मक्के के छिलके को बनाया विकल्प
प्लास्टिक की बढ़ती समस्या से नाज इतने चिंतित हुए थे कि अपने सुनहरे कॅरियर को ठुकराकर प्लास्टिक का विकल्प ढूंढने निकल पड़े. उनका एक ही संकल्प था कि कुछ करना है. गहन अध्ययन के बाद विकल्प के रूप में मक्के का छिलका नजर आया. फिर एक के बाद एक प्रयोग किया और इस तरह वे सफल हुए. वैज्ञानिकों के मुताबिक मक्के का हर भाग उपयोगी है. इससे सैकड़ों प्रोडक्ट बनते हैं. इसके छिलके से पेपर, पेय पदार्थ, कंपोस्ट खाद, कलर, फ्लावर बेस और धागा तैयार होता है. इससे कप, प्लेट, पत्तल और झोला भी बनाया जा सकता है. यह प्लास्टिक का बेहतर विकल्प बन सकता है.