सीतामढ़ी: Bihar News: हाय रे बिहार की शिक्षा व्यवस्था, तमाम वादों और दावों के बाद भी यह सुधरने का नाम नहीं ले रही! सुधरे भी कैसे जब बिहार के सरकारी शिक्षकों की शिक्षा की नींव ही कमजोर है तो वह छात्रों को क्या ही ज्ञान देंगे. बिहार में शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक शिक्षा में सुधार को लेकर लगातार कोशिश कर रहे हैं. शिक्षा में सुधार को लेकर सरकार तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है लेकिन, शिक्षा का स्तर जहां था वहीं पर ठहरा हुआ है. 


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वैसे एक कहावत की मानें तो मकान का नींव अगर मजबूत हो तो बड़ी से बड़ी इमारत इस पर खड़ी की जा सकती है. अगर नींव ही कमजोर हो तो क्या उम्मीद की जा सकती है ? बिहार में शिक्षा का यही हाल है जिन शिक्षकों पर नौनिहालों का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी है, उन्हीं शिक्षकों को कुछ नहीं आता तो वह क्या बच्चों को पढ़ाएंगे. यहां के ज्यादातर सरकारी शिक्षक पढ़ाने के काबिल ही नही हैं. 


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हम बात कर रहें हैं बिहार के सीतामढ़ी जिले के मध्य विद्यालय दोस्तपुर स्कूल की यहां क्लास 1 से 8 तक के बच्चों को पढ़ाया जाता है. लेकिन, इस विद्यालय की शिक्षिकाओं को खुद ज्ञान प्राप्त करने की जरूरत है. विद्यालय में जब मीडिया की टीम पहुंची और शिक्षा के स्तर का मुआयना किया तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए. यहां किसी भी महिला शिक्षक को बेसिक नॉलेज तक नहीं है. 


यहां तक कि बिहार के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को भी यहां की शिक्षिकाएं नहीं जान रही हैं. इनके नजर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं नितेश कुमार हैं. बिहार को विहार लिखा जा रहा है. इतना ही नहीं दूसरी शिक्षिका ने तो हद कर दी इलेवन का स्पेलिंग तक नहीं बता सकी. किसी भी शिक्षक के पास मीडिया के किसी भी सवाल का सही जवाब नहीं था. किसी ने कहा मेरा दिमाग ठीक नहीं तो किसी ने कहा मेरी तबियत ठीक नहीं. अब ऐसे में छात्रों का भविष्य क्या होगा यह तो भगवान ही जाने. 
त्रिपुरारी शरण