बेतिया: बिहार के बेतिया से अफसरों की लापरवाही की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसे देखकर हर कोई हैरान है. दरअसल बेतिया के योगापट्टी में लोगों को शव दफनाने के लिए नाव तक नसीब नहीं हो रहा है. योगापट्टी का गजना गांव जिसकी आबादी हजारों में है, पिछले पंद्रह दिनों से बाढ़ की पानी में डूबा हुआ है. गांव के हर घर में बाढ़ का पानी है. जरलपुर खुटवनिया पंचायत का यह गांव अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहा है. इस दौरान गांव में एक युवक की मौत हो जाती है. उसे दफनाने के लिए गांव में खाली जमीन भी नहीं है.


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गांव में हर जगह बाढ़ का पानी घुस गया है. ऐसे में मृतक सद्दाम हुसैन के शव को दफनाने के लिए गांव के बाहर ले जाने का विचार किया जाता है. लेकिन उसे गांव से बाहर ले जाकर दफनाने के लिए नाव भी नहीं है. बहुत जदोजहद के बाद परिजनों को भाड़े पर एक नाव मिला. जिसके बाद परिजन नाव में शव को रख गंड़क नदी पार कर दूसरे गांव पहुंचे. जहां खाली जमीन दिखा वहां मृत युवक को दफनाया गया. परिजनों का कहना है कि हमारा गांव टापू बन गया है. कोई अधिकारी विधायक हमारी सुध लेने आया. आज तक पंद्रह दिन से नहीं आये है. घर के लडके की मौत हो गई है दूसरे जगह से नाव मंगाकर शव को दफनाने जा रहें है.


बता दें दस दिन पहले जी मीडिया ने गजना गांव से ग्राउंड जीरो रिपोर्टिंग की थी. जहां हजारों घर पानी में डूबे है गांव टापू बन गया है. इस गांव में आने जाने के लिए एक नाव ही मात्र सहारा है लेकिन आज तक एक भी अधिकारी इस गांव में नहीं पहुंचे हैं. ऐसे में बेटे की मौत के बाद नाव पर शव लिए मिट्टी का तलाश कर रहें परिजन सरकार प्रशासन से लगातार सवाल कर रहे हैं कि बाढ़ में डूबे इस गांव में एक नाव की व्यवस्था तक नहीं है. ऐसे में इसके जिम्मेदार कौन हैं?


इनपुट- धनंजय द्विवेदी


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