Muzaffarpur: रस भरी शाही लीची का नाम आए तो मुजफ्फरपुर जहन से दूर रह जाए, ऐसा तो हो ही नहीं सकता है.  वैसे तो लीची का उत्पादन न सिर्फ बिहार बल्कि देश के दूसरे हिस्सों में भी होता है. लेकिन जो बात मुजफ्फरपुर की शाही लीची में है, वह कहीं और नहीं है. इस रसभरी और लाल रंग से दमकती लीची के दीवाने राज्य और देश में ही नहीं विदेशों में भी हैं. तभी तो हर साल बड़े पैमाने पर शाही लीची का निर्यात दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में होता है. लेकिन, पिछले साल लीची के सीजन में दुनिया भर में कोरोना (Corona) के प्रहार और इस साल दूसरी लहर की मार ने लीची के कारोबार को प्रभावित किया है.  


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शाही लीची पर मौसम की भी मार
पहले से ही तूफान, बारिश और ओलावृष्टि से लीची की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. उस पर लगातार दूसरे साल लीची के सीजन में देश के अलग-अलग हिस्सों में लॉकडाउन लगने से लीची बागानों के मालिक हताश और निराश हैं.


दरअसल पहले इस सीजन में लीची के बागान गुलजार हुआ करते थे क्योंकि खरीदार वहां पहुंचते थे और खूब खरीद-बिक्री हुआ करती थी. लेकिन, पिछले साल की तरह इस साल भी बागानों में खरीदारों की काफी कमी है. इसके चलते तैयार फसल का बाजार तक पहुंचना काफी मुश्किल हो रहा है.


इतना ही नहीं लॉकडाउन के चलते फसल तोड़ने के लिए मजदूर भी नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसी हालत में लीची बागान मालिकों को एक बार अपने सामने अंधेरा दिखाई दे रहा है और फसल के खराब होने का डर सता रहा है.  


जिलाधिकारी ने जगाई उम्मीद, निर्यात के लिए टास्कफोर्स किया गठन
लीची कारोबार के सामने आई मुश्किलों को दूर करने के लिए अब जिलाधिकारी प्रणव कुमार सामने आए हैं. बागान मालिकों की मुश्किलों को कम करने के लिए उन्होंने डीडीसी की अध्यक्षता में टास्क फोर्स का गठन किया है. यह टास्क फोर्स लीची निर्यात के सामने आने वाली दिक्कतों को दूर करेगी.


टास्क फोर्स के जरिए लीची उत्पादकों को माल के ट्रांसपोर्टेशन और पैकेजिंग में आने वाली दिक्कतों को दूर किया जाएगा. इसके लिए पूरा इंतजाम कर लिया गया है. वहीं,  इनकी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लीची उत्पादकों तक पहुंचा जाए और उनकी समस्याओं को तत्काल दूर किया जाए. 


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लीची उत्पादकों की चेहरों पर लौटी मुस्कान
जिलाधिकारी की इस पहल के बाद जिले के लीची कारोबारियों के चेहरे पर एक बार फिर से मुस्कान लौट आई है. साथ ही, इन लोगों की उम्मीद बढ़ी है कि शाही लीची को बाजार मिल सकेगा. इससे न सिर्फ लीची उत्पादकों की मुश्किलें कम होगी बल्कि देशी और विदेशी बाजारों में शाही लीची के शौकीनों को इसका स्वाद मिलना जारी रहेगा.