मधुबनी: श्री राम जन्मभूमि पर 500 वर्ष तक संघर्ष के पश्चात मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है. मंदिर का निर्माण कार्य काफी तेजी के साथ हो रहा है. 2023 में एक मंजिल मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा, जिसमें जनवरी 2024 में भगवान रामलला की मूर्ति प्रतिष्ठापित होगी. 


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शिला भगवान विष्णु का स्वरूप 
बता दें कि, रामलला की मूर्ति के लिए नेपाल के काली गंडकी नदी के दामोदर कुंड से 2 शालिग्राम शिला लाया जा रहा है. जो शिला गंडक नदी से निकाली गई है उसे साक्षात भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है. यही कारण है कि भगवान राम की मूर्ति बनाने के लिए वह शिला नेपाल से लाया जा रहा है.  


जानकी मंदिर के महंत का योगदान
इस शिला के लिए जानकी मंदिर के महंत का योगदान महत्वपूर्ण रहा. इस पूरे कार्य में नेपाल के प्रधानमंत्री ने भी अपना पूरा सहयोग दिया. प्रधानमंत्री से संपर्क करेन के बाद शिला का काम बहुत तेजी से किया गया. नेपाल ने भी यह माना कि अगर हमारे यहां के शिला से भगवान की मूर्ति बनती है तो यह हमारा परम सौभाग्य है.


शिला का रुद्राभिषेक कराया गया
खबर के मुताबिक, नदी कुंड से दो बड़े-बड़े शिला निकाले गए. एक 24 टन का है और एक 16 टन का है. दोनों शिला से श्रीराम और माता सीता की मूर्ति बनायी जाएगी. शिला को दो ओपन ट्रक पर रखा गया और उसके बाद वहां के पंडितों के द्वारा शिला का रुद्राभिषेक कराया गया. जिसके बाद शिला वहां से चल पड़ी. 


शिला की महाआरती 
वह शिला 28 जनवरी शाम में जनकपुर के मां जानकी मंदिर में पहुंची. मां जानकी मंदिर में 29 तारीख को शिला की महाआरती और धार्मिक कृत्य किए जाएंगे. 30 जनवरी सोमवार को शिला ट्रक सवेरे जनकपुर से चलकर भारत में मधुबनी जिला के जटही नाम के स्थान पर बॉर्डर पर प्रवेश करेगी. भारत में प्रवेश करने पर अयोध्या से पहुंचे दर्जन भर संत, विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस के कार्यकर्ता और श्रद्धालु भक्त स्वागत करेंगे. 


दर्जनों जगहों पर शिला का पूजन
शिला को भारत के अंदर शहर के सभी मुख्य मार्ग होकर लाया जाएगा जो संध्या मुजफ्फरपुर जिला के कांटी में रात्रि विश्राम करेगा. इसके बाद शिला 31 जनवरी को गोपालगंज गोरखपुर के रास्ते से होते हुए शाम में अयोध्या पहुंच जाएगी. रास्ते में दर्जनों जगहों पर शिला पूजन का कार्यक्रम है.


वर्षों की परंपरा फिर ताजा
वहीं, नेपाल के गंडक नदी के दामोदक कुंड से निकाली गई शालिग्राम शिला से श्री राम की प्रतिमा बनाने को लेकर नेपाल के लोग काफी खुश और गौरवान्वित हैं. लोगों का कहना है कि हजारों वर्षों की परंपरा फिर ताजा हो गयी है और इससे भारत नेपाल का संबंध प्रगाढ़ होंगे.