Success को लेकर Pankaj Tripathi बोले- `मेरा दिमाग जल्दी खराब नहीं होगा`
Pankaj Tripathi: पहले लोगों को लगता था कि पढ़ता लिखता नहीं है, इसका क्या होगा. लेकिन अब गांव जाता हूं तो अगल-बगल के बच्चे आ जाते हैं
पटना: अपने अभिनय की वजह से बॉलीवुड (Bollywood) में खास जगह बना चुके पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. बिहार के गोपालगंज के एक गांव से उन्होंने बॉलीवुड के सबसे प्रॉमिसिंग एक्टर का सफर तय किया है और हर फिल्म के साथ उनकी फैन फॉलोइंग बढ़ती जा रही है. निगेटिव हो या कॉमेडी, पंकज त्रिपाठी हर किरदार में पसंद किए जाते हैं. सेक्रेड गेम्स से लेकर मिर्जापुर और क्रिमिनल जस्टिस जैसे वेब सीरिज में भी उनकी खूब तारीफ हुई.
पंकज त्रिपाठी एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें अपने 'डाउन टू अर्थ' व्यवहार के लिए जाना जाता है. इन दिनों वो अपनी फिल्म कागज को लेकर खास चर्चा में हैं. फिल्म को सलमान खान (Salman Khan) की प्रोडक्शन कंपनी 'सलमान खान फिल्म्स' ने प्रोड्यूस किया है. इस फिल्म में वो लीड रोल में हैं. इसमें पंकज त्रिपाठी ने ऐसे शख्स की भूमिका निभाई है जो कागजी तौर पर मर चुका है. लेकिन खुद को जिंदा साबित करने में उसे लगभग 17 साल लग जाते हैं.
इस बीच पंकज त्रिपाठी ने हमारे संवाददाता पल्लव मिश्रा से खास बातचीत की. यहां पढ़िए इंटरव्यू के प्रमुख अंश-:
सवाल: 'क्रिमनल जस्टिस' और 'कागज' में आपके अभिनय की बहुत तारीफ हो रही है. साल 2021 की शुरुआत शानदार की है आपने...
जवाब: मेरे काम को लोग पसंद कर रहे हैं, ये बहुत अच्छा है. ये लोगों का स्नेह है कि वो मेरे काम को पसंद करते हैं.
सवाल: OTT प्लेटफार्म से कलाकारों के जीवन में क्या बदलाव आया है?
उत्तर: OTT ने बहुत कुछ बदला है. हमारे जैसे एक्टर्स को OTT ने बहुत तवज्जो दी है, हमको लोगों के घरों तक पहुंचा दिया है.
सवाल: कोरोना लॉकडाउन में गांव में समय कैसे बीता?
उत्तर: छुट्टियों में बहुत ज्यादा व्यस्त था, बहुत काम कर रहा था, 8-9 फिल्में कर लिया था. लॉकडाउन में 6 प्रोजेक्ट आ गए और 2 अभी आने हैं.
सवाल: आपके काम की बहुत तारीफ हो रही है, फैंस ने आपकों 'स्टार ऑफ 2020' का टैग दिया है, एक अभिनेता के तौर पर क्या महसूस करते हैं, जब इस तरह का स्नेह मिलता है?
उत्तर: जरूरी है, ये लोगों का प्यार है और डिजिटल प्लेटफॉर्म या सोशल मीडिया की जरिए इसका एहसास होता है, जिम्मेदारी बढ़ जाती है, लगता है और मेहनत करें, जिससे लोगों का प्यार बना रहे.
सवाल: अभिनेता के तौर पर स्टारडम मिलने पर फैंस की उम्मीदों पर खरा उतरने का कितना बोझ होता है?
उत्तर: ये जिम्मेदारी का एहसास कराता है कि जो करें वो अच्छा करें, ये लोगों का प्यार है.
सवाल: आपके संघर्षो का काफी लंबा दौर रहा, उसके बारे में कुछ बताइए, क्या कुछ सीखने को मिला?
उत्तर: हम जो सीखते हैं, करते हैं. संघर्ष अच्छा रहा, बहुत ही सुखद रहा, कुछ बनने में समय लगता है, जितना समय लगा उतना सही था, जरूरी था, क्योंकि रातोंरात कुछ हो जाता है तो दिमाग को सयंमित रखना मुश्किल होता है, दिमाग खराब हो जाता है. मुझे बहुत मेहनत और संघर्षों के बाद सफलता मिली है तो दिमाग जल्दी खराब नहीं होगा या शायद कभी नहीं होगा.
सवाल: यूपी-बिहार के युवाओं में IAS-IPS बनने की इच्छा ज्यादा होती है, ऐसे में आपने फिल्मों को अपना कैरियर कैसे चुना और परिवार कैसे माना?
उत्तर: परिवार का कोई दबाव नहीं था. बचपन से फिल्मों की तरफ जाने का कोई मन नहीं था, नाटक देखता था, पटना पढ़ाई करने आया था और डॉक्टर बनना था. यहां आकर नाटक देखने लगा और करने लगा, फिर लगा की ये काम करने में मजा आता है, इसमें थकता नहीं हूं, तो सोचा कि यही काम करता हूं, बस रोजी-रोटी चल जाए. बिना पैसों के 5-6 साल एक्टिंग किया हूं.
सवाल: पहले और अब लोगों के मन में फिल्मों को देखने के प्रति कितना बदलाव आया है?
उत्तर: पता नहीं, पहले लोगों को लगता था कि पढ़ता लिखता नहीं है, इसका क्या होगा. लेकिन अब गांव जाता हूं तो अगल-बगल के बच्चे आ जाते हैं, आप 15-16 साल किसी काम में लगे हों और कुछ खास होता नहीं है तो लोगों को लगता है कि झूठ बोल रहा है. जब हो जाता है तो लोग कहने लगते हैं कि हमारे साथ का है, हमारे बीच का है, हमने ये रास्ता बताया था. ये जिंदगी है और यह नैचुरल है, इसमें कोई न शिकायत है और न ही दुख है.
सवाल: जब सफलता नहीं मिल रही है तो मन में गांव लौटने का ख्याल आता था?
उत्तर: बिल्कुल नहीं.
सवाल: आप कबीर सिंह की फिल्म '83' का हिस्सा हैं, इसमें रणवीर सिंह जैसे स्टार्स के साथ काम करके कैसे लग रहा है?
उत्तर: फिल्म करते हुए बहुत आनंद आया, हमने दुनिया को जाना, क्रिकेट को करीब से जाना, सारे ग्राउंडस देखें. अब फिल्म का इंतजार है.
सवाल: किस रोल में अपने को आप कंफर्ट फील करते हैं?
उत्तर: मैं सभी किरदार को एंजॉय करता हूं और यही कलाकार का काम होता है.
सवाल: 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' से इतनी सफलता की उम्मीद थी?
उत्तर: मैं जिदंगी में कभी किसी फिल्म से उम्मीद नहीं करता हूं. जो होता है अपने आप होता है, ईमानदारी से काम करता हूं, बाकी ईश्वर पर छोड़ देता हूं.
सवाल: वेब सीरिज को लेकर लोगों में उत्साह बढ़ा है, इसका फिल्मों पर कितना प्रभाव होगा?
उत्तर: कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, कोविड की वजह से लोग सिनेमा हाल में जाने से डर रहे हैं. कोविड के बाद सिनेमा भी रहेगा और वो भी रहेगा. फिल्में सामुदायिक चीज है जिसे समूह में देखते हैं और OTT अकेले में देखते हैं. दोनों Parallel चलती रहेगी. सिनेमा उत्सव देता है, दोनों की अपनी पहचान है और दोनों हमेशा रहेंगे.
सवाल: फिल्म इंडस्ट्री में क्या अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा अलग है?
उत्तर: बहुत लोकतांत्रिक है, बहुत Hierarchy है, जाति-मजहब का प्रभाव नहीं दिखता है.
सवाल: वंशवाद से फिल्म जगत में सफलता पाने में कोई मदद मिलती है?
उत्तर: काम ही पहचान है, अगर कलाकार में दम नहीं है तो दर्शक देखना पसंद नहीं करेंगे.
सवाल: युवाओं का क्या संदेश देना चाहेंगे?
उत्तर: ईमानदारी से काम में लगे रहें, सबकुछ होगा, कुछ भी असंभव नहीं है.