खबर का असर, शव ले जाने के लिए वाहन नहीं मिलने पर सीएस ने मुहैया कराई एंबुलेंस
Nalanda News: खबर का असर.. शव को ठेले पर ढोए जाने की खबर का हुआ असर. सीएस ने सदर अस्पताल बिहारशरीफ को अतिरिक्त शव वाहन कराया मुहैया. जी मीडिया ने खबर को प्रमुखता से दिखाया था.
नालंदाः Nalanda News: पिछले दिनों बिहार शरीफ सदर अस्पताल में ठेले पर शव ढोने मामले को बिहार झारखंड पर प्रमुखता से दिखाने के बाद सिविल सर्जन ने मामले को गंभीरता से लिया. दरअसल, रविवार (8 सितंबर) को बिहार थाना क्षेत्र के अंबेर मोहल्ले में राइस मिल में बिजली के काम करने के दौरान करंट से संजू साव की मौत हो गई थी. मौत के बाद परिजनों ने शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग की, लेकिन एंबुलेंस देरी से मिलने की बात को सुन परिजन शव को ठेले पर ही उठाकर ले जाना मुनासिब समझा था.
खबर जी मीडिया में आने के बाद सिविल सर्जन ने तत्काल स्वास्थ्य कर्मियों को एक अलग शव वाहन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. सिविल सर्जन ने कहा कि परिजनों ने स्वेच्छा से शव वाहन को ठेले पर ढोने का काम किया है. आपको बता दें कि सांसद मद से तीन अतिरिक्त शव वाहन बिहार शरीफ सदर अस्पताल को दिया गया है. जिसमें से एक शव वाहन चंडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को दिया गया. वहीं शेष 2 एंबुलेंस अभी भी खुले आसमान में धूल फांक रहा है.
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अब सवाल यह उठता है कि नालंदा सांसद के द्वारा शव वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किए जाने के बाद भी यह शव दो अन्य शव वाहन खुले आसमान के नीचे क्यों पड़े है. स्वास्थ्य विभाग इन शव वाहनों का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहा. मिली जानकारी के अनुसार चालक और अन्य मजबूरियों के कारण शेष 2 शव वाहनों का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.
दरअसल, बताया जाता है कि नालंदा जिले के सिलाव थाना क्षेत्र इलाके में धर्मेंद्र कुमार और बिहार थाना क्षेत्र के अंबेर मोहल्ले में राइस मिल में बिजली के काम करने के दौरान करंट से संजू साव की मौत हो गई थी. दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए बिहारशरीफ सदर अस्पताल लाया गया था. जहां अस्पताल में मौजूद शव वाहन से धर्मेंद्र कुमार के शव को सिलाव भेज दिया गया. वहीं संजू साव के शव को बिहारशरीफ अस्पताल से पोस्टमार्टम के बाद ठेले पर ही अंबेर मोहल्ले तक ले जाया गया. परिजनों ने बताया कि शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग की गई थी. लेकिन परिजनों को एंबुलेंस मुहैया नहीं कराया गया जिसके बाद परिजन ठेले पर ही शव को ले जाना मुनासिब समझा.
इनपुट- ऋषिकेश कुमार, नालंदा
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