Who Is Vivek Thakur: बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी तस्वीर साफ कर दी है. बीजेपी की ओर से रविवार (24 मार्च) को अपनी सभी 17 सीटों के लिए कैंडिडेट घोषित कर दिए गए हैं. 'मिशन 400' को देखते हुए पार्टी ने 70+ वाले नियम को भी इग्नोर कर दिया और ज्यादातर पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है, तो वहीं कुछ नए चेहरों पर दांव लगाया गया है. पार्टी की ओर से जिन नए चेहरों को टिकट दिया गया है, उनमें राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर का नाम भी शामिल है. विवेक ठाकुर को नवादा सीट से मैदान में उतारा गया है. बता दें कि इस बार NDA की सीट शेयरिंग में नवादा सीट बीजेपी के खाते में आई थी. जबकि पिछली बार यह सीट लोजपा को दी गई थी. 2019 में यहां से लोजपा के चंदन सिंह जीते थे, जोकि सूरजभान सिंह के भाई हैं.


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वहीं इस बार बीजेपी की टिकट पाने वाले विवेक ठाकुर राजनीति में कोई अनजान चेहरा नहीं हैं. बिहार की पॉलिटिक्स उनको विरासत में मिली है. उनके पिता डॉ. सीपी ठाकुर बिहार बीजेपी के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं. विवेक ने भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी और अब तक के अपने करीब 28 साल के राजनीतिक जीवन में वह बीजेपी में विभिन्‍न पदों पर रह चुके हैं. वह भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य भी रह चुके हैं. इस पद पर रहते हुए वे गुजरात, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल के प्रभारी रहे. 


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विवेक ठाकुर का व्यक्तिगत जीवन


पटना के संत माइकल हाई स्कूल से स्कूली शिक्षा लेने के बाद उन्होंने दिल्ली यूनीवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक किया. इसके बाद पटना विधि विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक किया. इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड से एमबीए भी किया हुआ है. विवेक की पत्नी का नाम मीनाक्षी ठाकुर है, जोकि गवर्नमेंट जॉब करती हैं. इनकी 2 बेटियां हैं. myneta.info वेबसाइट के मुताबिक, विवेक बिल्कुल साफ-सुधरे छवि के राजनेता हैं. उनके ऊपर एक भी अपराधिक मामला दर्ज नहीं है. वह 3 करोड़ से ज्यादा संपत्ति के मालिक हैं. उनके ऊपर 40 लाख रुपये से ज्यादा का कर्ज भी है.


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बीजेपी में उनका सफर 


विवेक महज 24 साल की उम्र में ही बीजेपी के सदस्य बन गए थे. उनकी मेहनत को देखते हुए जल्द ही बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति में उनको प्रवेश मिल गया था. वह बिहार के ब्रह्मपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि, उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था. वे एक वर्ष तक बिहार विधान परिषद के सदस्य (MLC) भी रह चुके हैं. पार्टी ने 2020 में उनको उनके पिता की जगह राज्यसभा भेजा था.