नई दिल्ली/पटनाः बिहार विधानसभा में सीएम नीतीश कुमार ने कई मुद्दों पर विपक्ष को जवाब दिया. जिसमें जातिगत जनगणना और अपराध को लेकर वह कई बातों को सदन में रखा. उन्होंने जातिगत जनगणना का समर्थन कर 2021 के जनगणना कार्यक्रम इसे जोड़ने के लिए प्रस्ताव लाने की बात कही है. वहीं, उन्होंने आंकड़े पेश कर बताया कि 15 सालों में बिहार की आबादी बढ़ी है जिसके बावजूद पहले की तुलना में अपराध का दर और कम हो गया है. साथ ही उन्होंने लॉ एंड ऑडर्र की भी बात की.


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सीएम नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में कहा कि 2011 में जो भी जातिगत जनगणना किया गया उसमें कई खामियां है. इसलिए वह सर्वे कहीं से भी सही नहीं है. उन्होंने कहा कि एससी और एसटी संख्या आप जान सकते हैं. लेकिन अलग-अलग जातियों की संख्या जानना मुश्किल है. ऐसे में अगर जातिय जनगणना होगा तो आरक्षण को बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी की सहमति है इसलिए एक प्रस्ताव पास करना चाहिए. जिससे की जातिगत जनगणना किया जा सके.


वहीं, उन्होंने 10 फीसदी आर्थिक आरक्षण को लेकर भी कहा कि किसी को भी इसका विरोध नहीं करना चाहिए. क्योंकि इससे ओबीसी, एससी, एसटी किसी के भी आरक्षण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसलिए इसका विरोध करने का कोई मतलब नहीं है.


वहीं, सीएम नीतीश कुमार ने 2001-2005 के वर्षों से 15 साल बाद की अपराधों के आकंड़ों की तुलना करते हुए बताया कि उस वक्त प्रतिवर्ष औसतन हत्या 3638 थी जो अब 2980 है, डकैती 1249 थे जो अब 383 है. लूट 2425 थे जो अब 1595 हैं. फिरौती अपहरण 356 थे जो अब 49 हैं. उन्होंने कहा कि 15 साल बाद बिहार की आबादी काफी बढ़ी है जिसके बाद उस समय के आकंड़ों से भी कम अब आंकड़े हैं. फिर भी बिहार में अपराध बढ़ने की बात कही जा रही है. 


नीतीश कुमार ने कहा कि अपराध को रोकने का प्रयास किया जा सकता है. लेकिन कभी खत्म नहीं किया जा सकता है. अपराध खत्म करने की बात यह सिर्फ आदर्श कल्पना है. यह कहीं भी खत्म नहीं हो सकता है. लोग अब घर में अपराध कर रहे हैं. समाज में कुछ लोगों का स्वभाव ही अपराधी है. उन्हें अपराध करने से रोका नहीं जा सकता है. उन्हें पता है कि हत्या करने से उन्हें कड़ी सजा होगी फिर भी अपराध करते हैं. 



उन्होंने कहा कि अपराध को लेकर वह खुद समीक्षा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए आदेश दिया गया है कि प्रदेश के हर थाने में अनुसंधान के काम के लिए अलग टीम होने चाहिए. जो केवल अनुसंधान का काम देखेंगे. और बाकी पुलिसकर्मी लॉ एंड ऑडर्र देखेंगे. उन्होंने बताया कि 341 तानों में अनुसंधान टीम बना कर काम किया जा रहा है. और 760 थाने अभी बाकी है जहां एक माह में टीम तैयार कर ली जाएगा.


वहीं, उन्होंने यह भी कहा कि अनुसंधान टीम से किसी को भी स्थानांतरित किया जाता है तो उस टीम में अनुसंधान टीम के लोग ही आएंगे और वह अनुसंधान टीम में ही कई जाएंगे. जिससे की अनुसंधान के काम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. और न्यायालय में अनुसंधान की रिपोर्ट भी तुरंत सौंपी जाएगी. इसलिए इसके लिए रिक्तियों का आकलन कर नियुक्ति की जाएगी और नियुक्तियां जारी भी है.