नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बताया कि सरकार 30 जून 2020 तक “एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड” योजना को पूरे देश में लागू करने जा रही है. देश भर के सभी राशनकार्डों को आधार से जोड़ने और शत प्रतिशत POS मशीन के जरीए अनाज वितरण की व्यवस्था का काम अंतिम चरण में है. 


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अभी आंध्रप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र,, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा 10 ऐसे राज्य हैं जहां शत प्रतिशत POS मशीन के जरीए अनाज वितरण की व्यवस्था हो चुकी है और सभी जन वितरण प्रणाली दुकान इंटरनेट से जोड़ दिए गये हैं. इन राज्यों में अब कोई भी लाभार्थी उस राज्य के किसी भी जन वितरण प्रणाली दुकान से अनाज ले सकते हैं. 


15 अगस्त 2019 तक आंध्रप्रदेश व तेलंगाना, गुजरात व महाराष्ट्र के उपभोक्ता दोनों राज्यों में कहीं से भी राशन ले सकेंगे, ऐसी व्यवस्था हो जाएगी. इस व्यवस्था को जल्द से जल्द पूरे देश में लागू करने पर काम अंतिम चरण में है. सभी राशनकार्डों का डाटा एक सर्वर से जुड़ जाएगा और कोई भी लाभार्थी, देश भर में कहीं भी, किसी जन वितरण प्रणाली दुकान से अपना अनाज उठा सकेगा. 


हाल ही में सभी राज्यों के खाद्य सचिवों के साथ हुई बैठक में इस कार्य की प्रगति की समीक्षा की गयी और ऐसी व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं कि अगले 2 महीने के अंदर दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और महाराष्ट्र के कुछ और ऐसे प्रमुख शहरों में, जहां दूसरे राज्यों से मजदूर बड़ी संख्या में काम करने आते हैं, वहां उनके अधिकार का राशन वहीं पर मिल सके. 


देश भर में खाद्य सुरक्षा कानून के सुचारू रूप से संचालन और अनाजों के भंडारण और वितरण में पारदर्शिता के लिए पूरी व्यवस्था के कम्प्यूटराइजेशन और सभी डिपुओं को ऑनलाइन सिस्टम (DOS) से जोड़ने का काम अंतिम चरण में है. खाद्य एवं सार्वजनिक मंत्रालय का कार्य बहुत ही महत्वपूर्ण है-यह Life Line की तरह है-देश में लगभग 81 करोड़ लाभार्थियो को 612 लाख टन अनाज का सालाना वितरण किया जाता है. केन्द्रीय भण्डारण निगम राज्य, भण्डारण निगम और निजी गोदामों में अनाज का भंडारण किया जाता है. 


अनाज की समय से खरीद, उचित भंडारण तथा समय से वितरण करने के लिए IT का उपयोग ज्यादा ज्यादा करने पर जोर दिया जा रहा है. मंत्री महोदय ने कहा कि इससे कार्यों में कुशलता बढ़ती है, पारदर्शिता आती है और भ्रष्टाचार पर रोक लगती है. FCI ने अपने सभी 563 गोदामों और CWC ने 144 डिपुओं पर डिपो ऑनलाइन सिस्टम (DOS) लागू कर दिया है. 


इसके अतिरिक्त FCI द्वारा अनाज की खरीद को भी ऑनलाइन कर दिया गया है. अधिकांश राज्यों के खरीद, भंडारण और वितरण व्यवस्था को किसी न किसी रूप में ऑनलाइन कर दिया गया है. आवश्यकता है कि FCI और राज्यों के बीच ऑनलाइन सूचनाओं का आदान-प्रदान हो सके, इसके लिए इनको Integrate किया जाए, जिससे हमें यह जानकारी मिल सके कि किस मंडी से कितना अनाज खरीदा गया, फिर उसे किस गोदाम में कितने दिन रखा गया और वितरण के लिए कब दिया गया. ख़रीद के समय अनाज की गुणवत्ता कैसी थी और गोदाम में रख-रखाव उचित हो. उसके बाद राशन दुकानदार को कब दिया गया और अततः दुकानदार से उपभोक्ता को कब दिया गया. इसका सिस्टम अलग से सभी राज्यों में है जो हम अन्नवितरण पोर्टल पर देख सकते है. 


बैठक में निर्णय लिया गया कि FCI अपने डीपो ऑनलाइन सिस्टम (DOS) को राज्यों से जोड़ने के लिए इंटेरनेट गेटवे बनाये, FCI को यह एक्सेस देने के लिए चार माह का समय दिया गया है और अगले दो महीने के अंदर सभी राज्यों को इससे जोड़ देने का लक्ष्य है जिसपर सभी राज्यों ने सहमती जतायी है. कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए खाद्य मंत्रालय ने fortified चावल के वितरण की योजना लागू करने जा रही है. इस योजना की स्वीकृति 14 फरवरी 2019 को दी गई. योजना का आकार 147.61 करोड़ रीपये है और इसे 3 वर्षों तक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाए जाने की योजना है. 


पायलट योजना में खर्च का वहन केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच 75:25 तथा पूर्वोत्तर राज्यों में 90:10 के अनुपात में किया जाएगा. पायलट योजना 15 राज्यों के कम से कम एक जिले में चलायी जाएगी. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों और मध्याह्न भोजन योजना में कुछ स्थानों पर पहले से ही fortified चावल-पौष्टिक तत्त्व दिए जा रहे हैं. फिलहाल 9 राज्यों ने योजना प्रारंभ करने की सहमती दी है और जिलों को चिह्नित किया है. ये राज्य हैं - आंध्रप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडु और असम. शेष राज्यों से अनुरोध किया गया है कि जिलों का चयन करें और चावल Fortification के लिए एजेंसी- मिलों का चयन कर शीघ्र इस व्यवस्था को लागू करने का काम करें. इसे सरकार के 100 दिन के लक्ष्य में रखा गया है.