Patna: भोजपुर के चर्चित इचरी नरसंहार कांड में तृतीय अपर एवं जिला सत्र न्यायाधीश सत्येंद्र सिंह ने अपना फैसला सुना दिया है. अदालत ने नौ आरोपियों को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई. बिहार के आरा की एमपी-एमएलए कोर्ट ने बुधवार को जदयू के राष्ट्रीय महासचिव भगवान सिंह कुशवाहा को इछारी नरसंहार मामले में बरी कर दिया है.न्यायमूर्ति सत्येंद्र सिंह की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सबूत के अभाव में जदयू नेता को बरी कर दिया है.


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इस मामले में कोर्ट में अभियोजन की ओर से 12 लोगों ने गवाही दी थी. इसके अलावा बचाव पक्ष की ओर से दो लोगों ने गवाही दी है. गवाही सुनने के बाद  कोर्ट ने  आरोपित राजेन्द्र साह, बुद्धू साह, पुलिस महतो, गौरी महतो, बहादुर राम, सत्यनारायण, दुलारचंद यादव, बालेश्वर राम एवं भरोसा राम को भादवि की धारा 302/149 के तहत सश्रम उम्रकैद 307/149 के तहत 10-10 वर्ष के सश्रम कैद तथा 27 आर्म्स एक्ट के तीन- तीन वर्ष के सश्रम कैद एवं कुल 25-25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है. वहीं, मृतक अनंत बिहारी सिंह के पुत्र रितेश सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने असंतोष जताते हुए कहा है कि वो और कड़ी सजा के लिए उच्च न्यायालय में अपील करेंगे.


जानें क्या है पूरा मामला


यह नरसंहार 29 मार्च, 1993 को हुआ था जब हथियारबंद लोगों के समूह ने पांच लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी . फायरिंग में कई अन्य लोग भी घायल हुए हैं . पीड़ितों पर उस समय हमला किया गया जब वह जगदीशपुर प्रखंड में भाजपा की रैली से ट्रैक्टर पर सवार होकर लौट रहे थे .


मृतकों की पहचान राम लोचन सिंह, विनय सिंह, जालिम सिंह, हृदयानंद सिंह और अनंत सिंह के रूप में हुई है . इनकी मौके पर ही मौत हो गई . उस घटना के बाद कुशवाहा समेत 10 लोगों पर आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था . कुशवाहा तब भाकपा माले से जुड़े थे .


(इनपुट भाषा के साथ)