Sharda Sinha Death: बिहार की लोकप्रिय लोक गायिका शारदा सिन्हा, जिन्हें "स्वर कोकिला" कहा जाता था. उन्होंने छठ पर्व से ठीक पहले इस दुनिया को अलविदा कह दिया. वह पिछले छह-सात साल से कैंसर से जूझ रही थीं, लेकिन उनके पति ब्रजकिशोर सिन्हा का ब्रेन हेमरेज से देहांत होने के बाद शारदा सिन्हा का दर्द और भी गहरा हो गया. पति की मौत के महज 44 दिन बाद छठ के नहाय-खाय के दिन 72 वर्षीय शारदा सिन्हा ने अंतिम सांस ली. दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, लेकिन वह अपने पति के बिछोह से टूट चुकी थीं. सोमवार को उनकी हालत और बिगड़ी और मंगलवार शाम को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जानकारी के लिए बता दें कि शारदा सिन्हा की आवाज छठ पर्व के गीतों का प्रतीक मानी जाती है. उनकी आवाज में 'पटना के घाटे पर देब हम अरघिया ए छठी मईया' और 'दुखवा मिटाईं छठी मईया' जैसे गीत हर साल छठ के दौरान घर-घर में गूंजते हैं. छठी मईया और सूरज देवता के प्रति गहरी आस्था के साथ शारदा सिन्हा हर साल नया छठ गीत रिलीज करती थीं. इस बार, जब उनकी तबीयत बेहद खराब थी, उन्होंने एम्स में रहते हुए अपना अंतिम छठ गीत 'दुखवा मिटाईं छठी मईया' का ऑडियो रिलीज किया. हालांकि, इस बार वीडियो रिलीज नहीं हुआ, क्योंकि शारदा सिन्हा अपनी बीमारी के चलते वीडियो रिकॉर्ड नहीं कर सकीं. उनके बेटे अंशुमान ने इस ऑडियो को रिलीज किया और यह एक तरह से उनकी मां की अंतिम इच्छा को पूरा करने जैसा था.


इसके अलावा शारदा जी ने लगभग छह दर्जन छठ गीतों को अपने स्वर में सजाया था. हर साल वह एक नया छठ गीत अपने चाहने वालों के लिए लाती थीं. इस साल भी, उनकी बीमारी के बावजूद, उन्होंने यह परंपरा निभाई और नए गीत का ऑडियो जारी किया. उनकी आवाज से छठ पर्व का माहौल बनता था और छठ का पर्व उनके गीतों के बिना अधूरा लगता था. उनकी मौत से पहले भी कई बार अफवाहें फैलीं, लेकिन इस बार उनके चाहने वालों की सारी उम्मीदें टूट गईं. चार दिवसीय महापर्व छठ के पहले दिन, जब हर घर में शारदा सिन्हा के गीतों की गूंज थी, उसी समय उनके निधन की खबर ने सभी को दुखी कर दिया. उनकी आवाज हर साल छठ के गीतों के रूप में गूंजती थी और इस बार भी उनकी आवाज लोगों के दिलों में जिंदा है.


शारदा सिन्हा का जीवन उनके पति के निधन के बाद और भी कठिन हो गया था. ब्रजकिशोर सिन्हा के निधन के बाद ही उनकी बीमारी की जानकारी सामने आई थी. वह लंबे समय से मल्टीपल मायलोमा नामक कैंसर से पीड़ित थीं, लेकिन अपने पति के जाने के बाद उनकी तबीयत और बिगड़ने लगी. उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती किया गया था, लेकिन उनके मन में जीने की इच्छा अब कम हो चुकी थी. पूरा बिहार और उनका परिवार उनकी अच्छी सेहत के लिए प्रार्थना कर रहा था, लेकिन उन्होंने अपने जीवनसाथी के पास जाने का निर्णय कर लिया.


बिहार ही नहीं, पूरे देश में शारदा सिन्हा की आवाज को लेकर शोक की लहर है. उनके गीत हमेशा के लिए छठ पर्व का एक अभिन्न हिस्सा बने रहेंगे. उनके पार्थिव शरीर को पटना लाया जाएगा, जहां उन्हें उनके चाहने वाले अंतिम विदाई देंगे. शारदा सिन्हा का जीवन और उनका योगदान भारतीय संगीत और संस्कृति के प्रति अद्वितीय रहा है. उनकी कमी कभी पूरी नहीं की जा सकेगी, लेकिन उनकी आवाज उनके गीतों के माध्यम से हमेशा जीवित रहेगी.


ये भी पढ़िए-  शारदा सिन्हा के निधन से नम हो गई बिहारवासियों की आंखे, CM नीतीश ने व्यक्त किया शोक