पटनाः Kal Bhairav Ashtami 2022: सनातन परंपरा में हर दिन व्रत और त्योहार का होता है. इसी क्रम में आज काल भैरव जयंती है. पंचांग की मानें तो मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती मनाई जाती है. हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी का व्रत किया जाता है. लेकिन मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अष्टमी को काल भैरव अष्टमी के नाम से जाना जाता है. धार्मिक ग्रंथों में काल भैरव भगवान को शिव जी का रौद्र स्वरूप बताया गया है. भक्तों के लिए काल भैरव दयालु, कल्याण करने वाले और शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले देव माने जाते हैं, लेकिन अनैतिक कार्य करने वालों के लिए ये दंडनायक हैं. काल भैरव जयंती के दिन भगवान काल भैरव जी की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है.


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गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए -
आज काल भैरव जयंती है. इसलिए आज शिवलिंग पर पंचामृत अर्पित करते हुए अपनी मनोकामना का स्मरण करें.


काल भैरव के हैं आठ स्वरूप
काल भैरव महाराज के 8 स्वरूप हैं. ये रूप भीषण भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, रुद्र भैरव, असितांग भैरव, संहार भैरव, कपाली भैरव, उन्मत्त भैरव के नाम से जाने जाते हैं. इस दिन कालभैरव की पूजा करने से जीवन की समस्त बाधाएं दूर होती हैं और काल भय भी खत्म हो जाता है. मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भैरव बाबा पापियों को दंड देते हैं इसलिए इसे भैरव बाबा की दंडापानी भी कहा जाता है. कालभैरव की सवारी श्वान अर्थात् कुत्ता है इसलिए इस दिन कुत्ते को दूध पिलाना चाहिए, इससे भगवान प्रसन्न होते हैं. वर्तमान में भैरव की उपासना बटुक भैरव और काल भैरव के रूप में प्रचलित है लेकिन तंत्र साधना में भैरव के आठ स्वरूपों के बारे में बताया है.