पटना: राजधानी पटना में स्थित बिहार संग्रहालय में 1-10 अक्टूबर तक शून्यता के बौद्ध दर्शन पर कवि, कलाकार और राजनयिक अभय के. के चित्रों की एक प्रदर्शनी लगने जा रही है. इस प्रदर्शनी का उद्घाटन 1 अक्टूबर को बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा करेंगे.  बता दें कि प्रदर्शनी शून्यता के बौद्ध दर्शन की खोज करती है जिसका अनुवाद असंवेदनशीलता या शून्यता के रूप में किया जाता है. बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने प्रदर्शनी के बारे में कहा कि “अभय के. ने कई देशों में अपनी पेंटिंग प्रदर्शित की हैं. हालांकि, यह उनके गृह राज्य बिहार में उनकी पहली प्रदर्शनी है, और हमें बिहार संग्रहालय, पटना में उनकी पहली प्रदर्शनी, 'शून्यता' की मेजबानी करते हुए खुशी हो रही है.


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महानिदेशक ने आगे बताया कि उन्होंने पहले रूस, ब्राजील और मेडागास्कर में अपने कार्यों का प्रदर्शन किया है और अब शुन्यता या खालीपन की बौद्ध अवधारणा पर चित्रों की एक प्रदर्शनी के साथ अपनी जड़ों की ओर लौट रहे हैं, जिसे बोधिसत्व अवलोकितेश्वर ने राजगृह में गृद्धकुट पर्वत (गिद्ध शिखर) पर सारिपुत्र को प्रकट किया था. राजगीर में, जो व्यापक रूप से प्रसिद्ध हृदय सूत्र का हिस्सा है. एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसने उनके काम को देखा है, मैं उनकी कलाकृतियों में उनके द्वारा लाई गई नवीनता और उत्कृष्टता की पुष्टि कर सकता हूं.


वहीं बिहार संग्रहालय में अपनी प्रदर्शनी के बारे में बताते हुए, अभय के. ने कहा कि “अत्याधुनिक बिहार संग्रहालय में अपनी कलाकृतियों को प्रदर्शित करने का अवसर मिलना मेरे लिए बहुत गर्व की बात है. मैं अपने गृह राज्य बिहार में अपनी कला कृतियों का प्रदर्शन करने को लेकर बहुत उत्साहित हूं, जहां शून्यता के दर्शन का जन्म हुआ.''  अभय के. एक कवि, संपादक, अनुवादक, कलाकार और राजनयिक हैं. वह कई कविता संग्रहों के लेखक और द बुक ऑफ बिहारी लिटरेचर सहित छह पुस्तकों के संपादक हैं. उनकी कविताएँ दुनिया भर में सौ से अधिक साहित्यिक पत्रिकाओं में छपी हैं और उनके 'अर्थ एंथम' का 160 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया है.


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उन्हें सार्क साहित्य पुरस्कार (2013) मिला और उन्हें लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस, वाशिंगटन, डी.सी. (2018) में अपनी कविताओं को रिकॉर्ड करने के लिए आमंत्रित किया गया. कालिदास के मेघदूत और ऋतुसंहार के संस्कृत से अनुवाद ने उन्हें केएलएफ पोएट्री बुक ऑफ द ईयर अवार्ड (2020-21) दिलाया. मगही उपन्यास फूल बहादुर का उनका अनुवाद पेंगुइन रैंडम हाउस, भारत द्वारा प्रकाशित किया गया है. उनकी पेंटिंग प्रदर्शनियाँ यूरोप, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशिया में आयोजित की गई हैं.


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