Adhik Maas purushottam mass 2023: एक तो सावन का महीना जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. ऊपर से इस महीने में अधिक मास या पुरुषोत्तम मास का होना क्योंकि यह महीना भगवान नारायण को सबसे प्यारा है. मतलब एक ही महीने में सृष्टि के पालन कर्ता और सृष्टि के संहारकर्ता दोनों से आशीर्वाद पाने का ऐसा संयोग बन रहा है जो इससे पहले साल 1947, 1966, 1985 और 2004 में बना था. इस बार भगवान नारायण आषाढ़ मास के देवशयनी एकादशी यानी 29 जून को विश्राम के लिए गए और 23 नवंबर को देवुत्थानी एकादशी के दिन वह फिर से प्रकट होंगे. उनका विश्राम समाप्त होगा. ऐसे में इस बार चातुर्मास 4 नहीं 5 महीने का होगा जो अपने आप में अद्भुत संयोग है. ऊपर से 19 साल बाद मलमास सावन के महीने में आया है ऐसे में आपके पास शिव और नारायण दोनों की कृपा पाने के लिए यह खास समय है. 


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जब भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा में होते हैं तो फिर मांगलिक कार्य भले रूके हों लेकिन आध्यात्मिक कार्यों में तेजी आ जाती है. भगवान के भजन और कीर्तन के साथ ही देव दर्शन के लिए देवालयों में जाना इस समय श्रेष्ठकर माना जाता है. जब भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं तो भगवान शिव सृष्टि को चलाते हैं ऐसे में शिव की कृपा पाने के लिए सावन के महीने में मलमास यानी अधिक मास या पुरुषोत्तम मास का होना श्रेयकर है क्योंकि लोगों को शिव की कृपा पाने के लिए 30 दिन का अतिरिक्त समय मिलेगा. वैसे तो चातुर्मास में 4 महीने होने चाहिए थे सावन, भादो, आश्विन और कार्तिक लेकिन सावन में मलमास की वजह से इस बार चातुर्मास 5 महीने का होगा. 


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ऐसे में आपको बता दें कि इस पुरुषोत्तम मास में पूजा , दान, उपाय और खरीदारी के लिए 18 शुभ योगों का निर्माण होने वाला है. 18 सितंबर से शुरू हो रहे अधिक मास के दौरान सर्वार्थसिद्धि योग 6 दिन, द्विपुष्कर योग 1 दिन, रवि योग 9 दिन, मंगल पुष्य योग 1 दिन. मतलब इसके कुल 18 दिन भगवान नारायण की कृपा पाने के दिन रहेंगे. 


ऐसे में इन 18 दिनों में  यज्ञ- हवन के श्रीमद् भागवत, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण आदि का श्रवण, पठन विशेष रूप से फलदायी होगा. ऐसे में अधिकमास के दौरान भगवान नारायण के मंत्रों का जाप, दीप दान, ब्राह्मण, गरीब व जरूरतमंद को भोजन कराना, ध्वजा दान, वृक्ष लगाने का काम करना चाहिए. इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होगी. 


वहीं इस पूरे महीने शिवालय जाना चाहिए और भगवान शिव की अराधना और पूजा करना चाहिए, साथ ही किसी भी तरह के कष्ट के लिए महामृत्यंजय मंत्र का नियमित जाप या फिर इसका अनुष्ठान करना श्रेयकर रहेगा. इस महीने में शिव का रुद्राभिषेक और भी श्रेयकर होगा. वहीं आपको बता दें कि इस सावन के महीने में अधिकमास की वजह से लक्ष्मीनारायण योग भी बन रहा है. ऐसे में भगवान नारायण भगवान शिव के साथ मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए भी यह समय श्रेष्ठ होगा.