Chhath Puja 2022 : अमेरिका की सरजमी पर छठ करती है बिहार की ये महिलाएं, वर्जिनिया के पोटोमैक नदी से देती है अर्घ्य
किर्गिस्तान के ओश स्टेट यूनिवर्सिटी से मेडिकल की पढ़ाई करने वाली वैभवी प्रियांजलि के अनुसार इस वर्ष पढ़ाई के चलते वो भारत नहीं आ पाई है. उन्होंने बताया कि आखिरी बार लॉकडाउन के समय घर पर ही छठ मनायी थी, लेकिन जब से कॉलेज खुला है, घर जाना नहीं हो पा रहा है.
पटना : अमेरिका के वर्जिनिया के पोटोमैक नदी में भारतीय और अमेरिकी लोगों ने हर्षोल्लास के साथ छठ का महापर्व मनाते है. इस पूजा उत्सव में बड़ी संख्या में लोग नदी के तट पर एकत्र होते है और डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते है. दरअसल, अमेरिका में काफी लोग अपने परिवार के साथ रहते हैं. इनमें से हर कोई प्रत्येक वर्ष छठ में घर नहीं आ पाता है. ऐसे ही कुछ परिवार की महिलाएं है जो अमेरिका में ही छठ का महपर्व मनाती है.
महिलाएं संतान की सुरक्षा और सुखद जीवन के लिए रखती है व्रत
बता दें कि सूर्य उपासना तथा छठी मैया की अर्चना का महापर्व छठ पूजा का प्रारंभ आज से नहाय खाय यानी कद्दू भात के साथ शुरू होती है. यह व्रत संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा तथा उसके सुखद जीवन के लिए किया जाता है. छठ पूजा की महिमा अनंत है. पौराणिक कथा के अनुसार राजा प्रियवद को विवाह के काफी समय बीत जाने के बाद भी संतना नहीं हुई. इसके बाद राजा ने महर्षि कश्यप से अपने मन की व्यथा कही. तब जाकर महर्षि कश्यप ने राजा को संतान के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराने का सुझाव दिया. इसके बाद राजा को एक पुत्र तो हुआ, लेकिन बालक की कुछ ही पल में मौत हो गई. बेटे के वियोग में इतने दुखी थे कि वे भी अपने प्राण त्यागने लगे. तभी ब्रह्म देव की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं और उनको षष्ठी की पूजा करने की सलाह दी. इसके बाद राजा ने नियम पूर्वक षष्ठी माता का व्रत किया. जिसके बाद राजा प्रियवद को एक स्वस्थ बालक की प्राप्ति हुई. बता दें की छठ को लेकर कई और लोककथाएं प्रचलित हैं.
परिवार का एक बड़ा उत्सव है छठ पूजा
किर्गिस्तान के ओश स्टेट यूनिवर्सिटी से मेडिकल की पढ़ाई करने वाली वैभवी प्रियांजलि के अनुसार इस वर्ष पढ़ाई के चलते वो भारत नहीं आ पाई है. उन्होंने बताया कि आखिरी बार लॉकडाउन के समय घर पर ही छठ मनायी थी, लेकिन जब से कॉलेज खुला है, घर जाना नहीं हो पा रहा है. साथ ही कहा कि आज सपनों की तलाश में घर से दूर हूं, लेकिन अपनी संस्कृति और सभ्यता को कैसे भूल सकती हूं. मेरे लिए छठ पूजा एक पूजा नहीं, बल्कि एक परिवार का बड़ा उत्सव है. इसमें हम सभी भाई, बहन, मां, पापा, बुआ, फूफा सब एकत्रित होकर आस्था के साथ पूजा में शामिल होते हैं.
अमेरिका की पोटोमैक नदी से छठी मइया को देते है अर्घ्य
अमेरिका में रहने वाली तपस्या चौबे के अनुसार वह हर साल भारत में अपने मायके आकर छठ करती हैं, लेकिन इस वर्ष जब वह नहीं आई तो उन्होंने अमेरिका में ही छठ करने की ठान ली. अमेरिका में ही छठ का महापर्व माना रही अन्य महिलाओं से जुड़ी. आज उन्होंने नहाय-खाय के साथ छठ व्रत की शुरुआत की है. साथ ही कहा कि परिवार के साथ अपने परिवेश में छठ करने की बात ही कुछ और है. ससुराल में उन्होंने पहली बाद 2006 में छठ किया था. इसके बाद छठी मइया की कृपा हुई, तो छठ में इंडिया आकर छठ करने लगी. 2019 तक घर पर ही जाकर छठ करती थी, लेकिन कोरोना के कारण तीन वर्षों से घर नहीं जा सकी. इस बार भी यहीं छठ कर रही हूं.
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