पटना: Sharad Purnima: इस साल 9 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है. पूरे साल में शरद पूर्णिमा के चांद की किरणों में एक खास किस्म के गुण होते हैं. जो मानव जीवन के लिए बेहद हितकारी हैं. कम ही लोग जानते हैं कि चांद की ये किरणें आपके जीवन को बदलने की क्षमता रखते हैं. हालांकि केवल इस पूर्णिमा की चांद की किरण ही नहीं. इस पक्ष में ही दशहरे का त्योहार पड़ता है. ऐसे में इस समय पूरे पक्ष भर चांद की किरणों को हितकारी माना गया है. 


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शरद पूर्णिमा का है मानव जीवन में खास महत्व 
पूर्णिमा हर महीने एक बार आता है लेकिन सनातन धर्म शास्त्रों की मानें तो शरद पूर्णिमा के चांद की किरणों में औषधीय गुण होते हैं जो मानव के लिए बेहद कल्याणकारी हैं. इन चांद की किरणों में एक विशेष रस होता है. कहते हैं कि इस दिन चांद की चांदनी का लाभ लेकर आप वर्षभर मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ, प्रसन्नचित्त और सकारात्म बने रह सकते हैं.  इसके साथ ही चांद की इस रौशनी का सेवन करनेवाले लोगों को कुछ खास बातों का भी ध्यान रखना आवश्यक है. 


शरद पूर्णिमा के चांद में अश्विनी कुमारों का प्रभाव होता है समाहित 
शरद पूर्णिमा का चांद अश्विनी नक्षत्र का चांद होता है. अश्विनी नक्षत्र मतलब अश्विनी कुमारों के प्रभाव से इस चांद की रौशनी रौशन होती है. मतलब साफ है कि यह चन्द्रमा 16 कलाओं से पूर्णतः युक्त होता है. इस स्थिति में चंद्रमा साल भर में एक बार ही आता है. अश्विनी कुमार को देवताओं का वैद्य कहा जाता है. ऐसे में इस चांद की रौशनी आपके इंद्रियों के ओज और बल को बढ़ानेवाला होता हैय 


इस चांद की रौशनी में रखे खीर को खाने से इंद्रियों को ओज और बल मिलता है  
ऐसे में यह मान्यता है कि इस रात को खीर बनाकर इन अश्विनी कुमारों को भोग लगाना चाहिए और चंद्रमा की चांदनी में इस खीर को रखना चाहिए. कहते हैं कि शरद पूर्णिमा के चांद की रौशनी से इस खीर में वह औषधी गुण आ जाता है जो आपकी इंद्रियों को ओज और बल प्रदान करता है. इस पूर्णिमा पर बनाकर भोग लगाई गई और चांद की रौशनी में रखी गई खीर को केवल व्यंजन नहीं आप दिव्य औषधी कह सकते हैं. 


इस खीर को चांद की रौशनी में बनाएं तो होगा और भी फायदा 
इस खीर को बनाने के बारे में कहा जाता है कि इसे पूर्णतः सात्विक तरीके से तैयार करना चाहिए, खीर को गाय के दूध और गंगाजल से तैयार करना चाहिए. अगर हो सके तो इस खीर को चांदी के बर्तन में बनाएं. क्योंकि चावल को शास्त्रों के अनुसार देवताओं का भोजन कहा जाता है. अगर हो सके तो इसमें केसर मिलाएं, साथ ही गाय का घी और सूखे मेवों का भी प्रयोग इसको बनाने में करना चाहिए. इस खीर को अगर चंद्रमा की रौशनी में बनाया जाए तो यह और भी उत्तम है. 


शरद पूर्णिमा के चांद को एकटक देखने से बढ़ेगी आंखों की ज्योति
किसी भी व्यक्ति की कुंडली में चन्द्रमा मन और जल का कारक ग्रह माना जाता है. ऐसे में चंद्रमा आपके मानसिक और शारीरिक उतार-चढ़ाव को कंट्रोल करता है. आपको पता होगा कि चंद्रमा के प्रभाव से ही समुद्र में ज्वार-भाटा जैसी स्थिति पैदा होती है. तो जो चंद्रमा इतने विशालकाय समुद्र को उथल-पुथल कर सकता है. वह हमारे शरीर के मन और जल को कैसे कंट्रोल करता है यह आप सोच सकते हैं.  कहते हैं शरद पूर्णिमा के चांद को एकटक देखने से आंखों की ज्योति बढ़ती है. अगर इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाए तो इससे अस्थमा या दमा के रोगियों को आराम मिलता है. गर्भवती स्त्री की नाभी पर यह रौशनी पड़े तो इससे उसका गर्भ पुष्ट होता है.


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