पटनाः Anant Chaturdashi 2022: सनातन परंपरा में अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु का पवित्र दिन है. साल में दो ही चतुर्दशी ऐसी होती हैं, जिनमें विष्णु भगवान की पूजा होती है. इसके अलावा भगवान विष्णु से संबंधित तिथियों में या तो एकादशी की तिथि प्रसिद्ध है, या फिर पूर्णिमा की. अनंत चतुर्दशी के लिए नरक चौदस या चतुर्दशी भी भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की तिथि मानी जाती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत हुई. इस बार 9 सितंबर 2022 को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

विराट स्वरूप का द्योतक हैं अनंत भगवान
अनंत, भगवान विष्णु का ही एक रूप है. इसे उनके विराट स्वरूप के तौर पर जाना जाता है. अनंत का अर्थ है, जिसका कोई अनंत नहीं है. इसी स्वरूप में भगवान विष्णु सभी लोकों का रक्षण और भरण-पोषण करते हैं. भगवान विष्णु के अनंत रूप के बाद कुछ भी नहीं बचता, या फिर जिसे बचा हुआ कहते हैं वही शेष हैं. शेषनाग इसी बचे हुए कि अस्तित्व हैं. यानी कि अनंत के बाद जब कुछ बचा ही नहीं तो शेष कहां हुआ. अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी.


14 रूपों में प्रकट हुए थे भगवान
इन लोकों का पालन और रक्षा करने के लिए वह स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट हुए थे, जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे. इसलिए अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है.धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना से यह व्रत किया जाता है.भारत के कई राज्यों में इस व्रत का प्रचलन है.इस दिन भगवान विष्णु की लोक कथाएं सुनी जाती है.


ऐसे करें भगवान की पूजा


1. इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल पर कलश स्थापना करें.
2.  कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करें या आप चाहें तो भगवान विष्णु की तस्वीर भी लगा सकते हैं.
3.  इसके बाद एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार करें, इसमें चौदह गांठें लगी होनी चाहिए. इसे भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखें.
4.  अब भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें और नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें. पूजन के बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें.


   अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव.
   अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते..


5.  पुरुष अनंत सूत्र को दांये हाथ में और महिलाएं बांये हाथ में बांधे. इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए और सपरिवार प्रसाद ग्रहण करना चाहिए.


यह भी पढ़े- Pavapuri Jal Mandir: जैन समाज का पवित्र धाम है पावापुरी, जानिए यहां कैसे बना महावीर मंदिर