किशनगंज: Bihar News In Hindi: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से देश में सांप्रदायिकता बढ़ रही है और मुसलमानों को राजनीति में उनकी उचित हिस्सेदारी से वंचित किया जा रहा है. बिहार के किशनगंज जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए, हैदराबाद के सांसद ने कांग्रेस पर अयोध्या जहां एक मस्जिद को भीड़ ने तोड़ दिया था और भगवान राम का मंदिर बनाया गया है, पर स्पष्ट रुख अपनाने में विफल रहने का भी आरोप लगाया. 


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ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों को राजनीति से दूर कर दिया है. किशनगंज का कुछ समय से प्रतिनिधित्व करने वाली कांग्रेस का नाम लिए बिना ओवैसी ने कहा, 'क्या आप अपने स्थानीय सांसद जिस पार्टी से वह संबंधित हैं, से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने और स्पष्ट शब्दों में विवादित ढांचा गिराये जाने की निंदा करने की उम्मीद कर सकते हैं. वे ऐसा कभी नहीं करेंगे, इस डर से कि कहीं यह अन्य समुदायों को पसंद न आये.' 


एआईएमआईएम प्रमुख ने आरोप लगाया वे केवल आपको (मुसलमानों को) हल्के में लेते हैं. हैदराबाद के सांसद ने कहा, 'यहां के लोगों को याद होगा कि जब मैं पिछले साल यहां आया था तो मैंने चेतावनी दी थी कि नीतीश कुमार पर भरोसा नहीं किया जा सकता है, उनके लंबे समय तक भाजपा विरोधी खेमे में रहने की संभावना नहीं है और वे एक और उलटफेर कर सकते हैं.'


 राज्य के किशनगंज जिले में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कुमार और उनके पूर्व सहयोगी राजद पर मुसलमानों को सत्ता में हिस्सेदारी देने के खिलाफ होने का भी आरोप लगाया. हैदराबाद के सांसद ने कहा, नीतीश कुमार हम (एआईएमआईएम) पर भाजपा की बी टीम होने का आरोप लगाते रहे हैं. सिर्फ इसलिए कि हमने हमेशा माना है कि इस आदमी पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए और मुसलमानों को उसके लिए अपना वोट बर्बाद नहीं करना चाहिए' 


उन्होंने कहा, 'जब राजद ने हमारे चार विधायकों को अपने पाले में कर लिया, तो इससे नीतीश कुमार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और कुछ ही महीने बाद उन्होंने हाथ मिला लिया.' ओवैसी का इशारा बिहार में एआईएमआईएम के पांच विधायकों में से एक को छोड़कर सभी के लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली पार्टी राजद में चले जाने की ओर था.  ओवैसी ने आरोप लगाया, 'ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को मुसलमानों को सत्ता में हिस्सेदारी मिलने से नफरत है. उनकी सरकार ने यह साबित कर दिया है.' 


(इनपुट भाषा के साथ)