Navratri 2024: नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. इन दिनों में कुंवारी कन्याओं की पूजा करने से माता दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख, समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. कुंवारी कन्या को माता दुर्गा का साक्षात रूप माना गया है, खासतौर पर अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है. लेकिन, इस पूजा के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, नहीं तो माता दुर्गा नाराज हो सकती हैं. आइए जानते हैं आचार्य मदन मोहन से इससे जुड़ी अहम बातें.


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कन्या पूजन का सही समय और विधि
आचार्य मदन मोहन बताते हैं कि इस साल नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हुई है और 12 अक्टूबर तक चलेगी. वैसे तो नवरात्रि के पूरे नौ दिनों में कन्या पूजन का विधान है, लेकिन विशेष रूप से अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का सबसे अधिक महत्व होता है. इन दिनों हवन, व्रत पारण और कन्या पूजन किया जाता है.


उम्र का रखें ध्यान
कन्या पूजन करते समय कन्याओं की उम्र का खास ध्यान रखना जरूरी होता है. शास्त्रों के अनुसार 1 से 9 साल की कन्याओं का पूजन करना सबसे शुभ माना जाता है. इन कन्याओं को देवी दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें भोजन करवाया जाता है. इसके बाद उस भोजन को खुद भी ग्रहण करने से माता दुर्गा बहुत प्रसन्न होती हैं और शुभ फल देती हैं.


बटुक भैरव का महत्व
कन्या पूजन में केवल कन्याओं को ही नहीं, बल्कि एक बटुक यानी बालक का भी होना जरूरी होता है. आचार्य मदन मोहन बताते हैं कि कई लोग सिर्फ कन्याओं को भोजन कराते हैं, लेकिन बटुक भैरव की उपस्थिति भी आवश्यक है. पहले बटुक भैरव की पूजा की जाती है, फिर कन्याओं की. ऐसा करने से पूजा सफल मानी जाती है. शास्त्रों के अनुसार जितने भी शक्तिपीठ हैं, उनके मुख्य द्वार पर बटुक भैरव विराजमान होते हैं क्योंकि वे माता दुर्गा के रक्षक और गण माने जाते हैं. साथ ही इसलिए नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन करते समय इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है. सही विधि से पूजा करने पर माता दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और वे अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं.


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