आयुर्वेद का सुपर फूड है `अलसी`, अगर हो ये समस्या तो इसके सेवन से बचना चाहिए
दुनिया के सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों में आयुर्वेद का नाम आता है. यह सबसे प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है. इस चिकित्सा पद्धति में खान-पान की चीजों का इस्तेमाल दवाईयों के रूप में किया जाता है और यह पद्धति पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी है.
Flax Seeds: दुनिया के सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों में आयुर्वेद का नाम आता है. यह सबसे प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है. इस चिकित्सा पद्धति में खान-पान की चीजों का इस्तेमाल दवाईयों के रूप में किया जाता है और यह पद्धति पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी है. ऐसे में इस पद्थि में कुछ खान-पान की चीजों को सुपर फूड की श्रेणी में रखा गया है और इसके सेवन का सही तरीका भी बताया गया है. इसकी मात्रा का भी जिक्र इस चिकित्सा पद्धति में किया गया है.
आयुर्वेद का सुपर फूड है अलसी
आज हम ऐसे ही आयुर्वेद के एक ऐसे सुपर फूड के बारे में आपको बताएंगे जो कई बीमारियों को इलाज में काम आती है, लेकिन इसके सेवन के कुछ सिद्धांत है. क्योंकि इसकी मात्रा से ज्यादा सेवन आपके सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकती है. जबकि कई लोगों को इसके सेवन से परहेज करने को भी बताया गया है. दरअसल इसकी तासीर गर्म होती है. ऐसे में इसके सेवन में परहेज बरतना बहुत जरूरी है. जी हां, मैं बात कर रहा हूं फ्लेक्स सीड्स या अलसी की.
अलसी में पाए जाते हैं कई पौष्टिक तत्व
बता दें कि फ्लेक्स सीड्स या अलसी में प्रचुर मात्रा में ओमेगा-3, और ओमेगा-6 फैटी एसिड्स के साथ ढेर सारे पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं. यह आपके दिल को जवां रखने के लिए बेहतर खाद्य है. इसमें फाइबर, प्रोटीन, मैंगनीज जैसी कुछ आवश्यक पौष्टिक तत्व भी होते हैं. यह आपके शरीर के कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी कम करता है.
अलसी शरीर के 'वात' को संतुलित करता है
आयुर्वेद की मानें तो अलसी का बीच शरीर के 'वात' को संतुलित करता है. आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति शरीर के तीन तत्वों वात, पित्त और कफ पर काम करता है. ऐसे में इनको संतुलित कर ही रोगों का इलाज किया जाता है. आयुर्वेद मानता है कि इनमें से कोई एक बिगड़ जाए तो आपका शरीर बीमारी का घर बन जाता है. ऐसे में अलसी के सेवन से हाइपरटेंशन और अल्ज़ाइमर्ज़ जैसी बीमारियों में फायदा मिलता है.
अलसी की तासीर होती है गर्म
हालांकि आयुर्वेद के अनुसार फ्लेक्स सीड्स या अलसी का बीज आपके वात को नियंत्रित करता है. लेकिन गर्म तासीर की वजह से यह आपके शरीर में पित्त और काफ का संतुलन बिगाड़ सकता है. इसलिए इसे सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए, इसकी सीमित मात्रा में सेवन से त्वचा का रूखेपन, समय से पहले झुर्रियां, सूजन आदि को भी दूर किया जा सकता है.
ये लोग कर सकते हैं अलसी के बीज का सेवन
आयुर्वेद की मानें को जिन लोगों को कुपोषण, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, कमजोरी और पीरियड्स के दौरान कम प्रवाह की समस्या हो उन्हें अलसी के बीज का सेवन करना चाहिए. शरीर में पानी की कमी हो तो भी इस बीज का सेवन कर सकते हैं.
इनको अलसी के बीज के सेवन से करना चाहिए परहेज
ज़रूरत से ज़्यादा अलसी के बीज का सेवन आपके हॉर्मोन्स को बिगाड़ सकता है. ऐसे में पीरियड्स के दौरान ज्यादा रक्त आ रहा हो, गर्भवती महिला हों, शरीर में गर्मी बढ़ी हो तो इसका सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
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