पटना: Bageshwar Baba: बागेश्वर धाम वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध पंडित धीरेंद्र शास्त्री का दरबार पटना के नौबतपुर में लगने जा रहा है. इसे लेकर सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं. नौबतपुर प्रखंड के तरेत पाली मठ में बागेश्वर धाम के कथावाचक पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की 13 मई से 17 मई तक श्री हनुमत कथा होगी. 


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आखिर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का बिहार के तरेत पाली मठ में ही कार्यक्रम क्यों निर्धारित हुआ. चलिए आज हम तरेत पाली मठ के इतिहास से परिचय कराते हैं. इस तरेत पाली मठ के बारे में स्थानीय समाजसेवी संतोष कुमार का कहना है कि तरेत पाली मठ काफी प्राचीन है. इस मठ से एक दो नहीं अपितु सैकड़ो छात्रों ने संस्कृत से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत आचार्य किया और उच्च पदों पर आसीन हुये. 


उन्होंने बताया कि 1855 ई0 में इस स्थान की नींव स्वामी राजेंद्र आचार्य ने रखी थी. उसके बाद स्वामी वासुदेवाचार्य, स्वामी धरनी धराचार्य और वर्तमान में स्वामी सुदर्शनाचार्य इसके संरक्षण और कर्ता -धर्ता हैं. लगभग 37 एकड़ में फैले तरेत पाली स्थान में राम, सीता, लक्ष्मण और बजरंगबली की सुंदर प्रतिमा से सुसज्जित एक 145 फीट ऊंचा गुंबज वाला मंदिर है. दूरदराज से लोग यहां दर्शन को आते हैं. 


ऐसी मान्यता है कि इस दर पर जो कोई भी अपनी मुराद लेकर आता है. भगवान राघवेंद्र उसकी मन्नत जरूर पूरी करते है. यही वजह है कि पूरे वर्ष यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. पूरे देश में इस मठ की एक-दो नहीं अपितु 88 से ज्यादा शाखाएं है. जिसमे नासिक, कांचीपुरम, हुलासगंज में स्थापित मठ प्रमुख है. राजधानी से महज बीस किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित तरेत गांव स्थित वैष्णव मठ है. जहां आज भी छात्रों को वैदिक रीति रिवाजों की पढ़ाई के साथ-साथ वेद, व्याकरण, ज्योतिष शिक्षा सहित आधुनिक शिक्षा दी जाती है. 


फिलहाल गया, जहानाबाद और पटना के करीब 60 छात्र तरेत मठ में रहकर पढ़ाई करने के साथ-साथ आसपास के गांवों में जाकर पूजा पाठ कर अपना जीविकोपार्जन करते है. इस मठ से एक दो नहीं अपितु सैकड़ो छात्र संस्कृत से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत आचार्य किया और उच्च पदों पर आसीन हुये. जिसमें गया जिला के रहने वाले डॉ राम प्रपत्र शर्मा, जो कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति बनाये गए. फिलहाल वे अपने पूरे परिवार के साथ नौबतपुर में ही निवास करते है. 



जहानाबाद के घोषी थाना अंतर्गत ढेरसईया गांव निवासी उमेश शर्मा भी तरेत पाली मठ से ही प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत उच्च शिक्षा प्राप्त कर कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति बने. इसके अलावा छपरा के बहलोलपुर निवासी स्व नंदकिशोर शर्मा भी कुलपति बने. इस मठ के पावन धरती पर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का आगमन सौभाग्य की बात है. 


वहीं युवा नटवर शर्मा का कहना है कि भारत में राघवेंद्र का यह इकलौता मंदिर है. जहां राम जी के दाएं तरफ सीता माता की प्रतिमा है. जब श्रीराम वन में गए तब सीता माता उनके दायीं तरफ है. वहीं मनीष कुमार का कहना है कि किसी भी श्रद्धालु को कोई परेशानी न हो.


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