अपनी शर्तों पर हाजीपुर आए थे बापू, गांधी आश्रम समेटे है स्वतंत्रता की अनगिनत कहानियां
वैशाली की धरती पर आने के लिए राष्ट्रपिता बापू से कई बार आग्रह किया गया था, लेकिन उन्होंने हाजीपुर के स्टेशन के पास के स्थान पर आने के लिए शर्त रखी थी. उनका कहना था जब जमीन दान में मिलेगा जहां आजादी के दीवानों की बैठक होगी तो ही वह हाजीपुर आएंगे. बताया जाता है कि तब बापू की बात का मान रखते हुए एक व्यक्ति ने अपनी जमीन दान में दी थी और महात्मा गांधी चंपारण आंदोलन से पहले 7 दिसंबर 1920 को हाजीपुर के गांधी आश्रम आए थे.
हाजीपुर : अद्भुत है विश्व को गणतंत्र का पाठ पढ़ाने वाली वैशाली के मुख्यालय हाजीपुर का गांधी आश्रम. आजादी की लड़ाई के दर्जनों कहानियां इस गांधी आश्रम से निकलती है. यहां से देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद सीधे जुड़े हुए थे. उन्हें ट्रस्ट का प्रथम अध्यक्ष भी माना जाता है. वहीं गांधी आश्रम देश का एकमात्र ऐसा जगह बताया जाता है जहां आजादी के नरम दल और गरम दल दोनों दलों के नेताओं की बैठक होती थी.
हाजीपुर के गांधी आश्रम में होती थी नरम और गरम दल की बैठक
कहते हैं वैशाली की धरती पर आने के लिए राष्ट्रपिता बापू से कई बार आग्रह किया गया था, लेकिन उन्होंने हाजीपुर के स्टेशन के पास के स्थान पर आने के लिए शर्त रखी थी. उनका कहना था जब जमीन दान में मिलेगा जहां आजादी के दीवानों की बैठक होगी तो ही वह हाजीपुर आएंगे. बताया जाता है कि तब बापू की बात का मान रखते हुए एक व्यक्ति ने अपनी जमीन दान में दी थी और महात्मा गांधी चंपारण आंदोलन से पहले 7 दिसंबर 1920 को हाजीपुर के गांधी आश्रम आए थे. यही नहीं इन्होंने गांधी आश्रम की नींव रखी थी. जहां बाद में एक कुटिया बनाया गया जिसमें नरम और गरम दल की अलग-अलग बैठकर हुआ करती थी.
गांधी आश्रम में आ चुके हैं तमाम स्वतंत्रता सेनानी
इस गांधी आश्रम में चंद्रशेखर आजाद सहित तमाम स्वतंत्रता सेनानी आ चुके हैं. बताया जाता है कि राजगुरु, सुखदेव और भगत सिंह को जिस गद्दार फनींद्र घोष के बयान पर फांसी की सजा हुई थी जिसके बाद फणीन्द्र घोष की हत्या का जिम्मा इसी गांधी आश्रम में लॉटरी सिस्टम के जरिए लालगंज के रहने वाले बैकुंठ शुक्ल को दिया गया था. जिसे पूर्ण करते हुए बैकुंठ शुक्ल ने बेतिया में फनींद्र घोष के हत्या की थी. जिसके बाद उन्हें गया के सेंट्रल जेल में फांसी की सजा दे दी गई थी. गांधी आश्रम अपने साथ आजादी के दीवानों की यादों को सहेजे हुए है. बाद में यहां पार्क और संग्रहालय का निर्माण करवाया गया. जिसे देखने दूरदराज से लोग आते हैं. गांधी आश्रम के संग्रहालय में दर्जन भर से ज्यादा स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियां लगी हुई है. वहीं आजादी के पहले के कई साक्ष्य इस संग्रहालय की खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं.
ये भी पढ़ें- Bihar Politics: ऐसा होगा नीतीश सरकार का मंत्रिमंडल, महागठबंधन के इन दलों के हिस्से में आएंगे इतने मंत्रालय
इस ट्रस्ट के अध्यक्ष देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे
ताम्र पत्र से सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी सूरजदेव सिंह आजाद के पुत्र शशि भूषण सिंह बचपन से ही गांधी आश्रम को सहेजते ओर संवारते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि गांधी आश्रम में महात्मा गांधी आए थे. उनका पहले से कार्यक्रम तय नहीं था इसलिए उन्हें छुपाकर यहां लाया गया था. क्योंकि उन्हें ऐसे ही यहां लाया जाता तो बड़ी संख्या में भीड़ जमा हो जाती और उनके पूर्वनियोजित कार्यक्रम में विलंब हो जाता. गांधी आश्रम के विकास में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले स्थानीय समाजसेवी अवधेश सिंह बताते हैं कि भारत में एकमात्र गांधी आश्रम ही ऐसी जगह है जहां नरम दल और गरम दल दोनों की बैठक होती थी. यहां महात्मा गांधी स्वयं आए थे. ट्रस्ट के अध्यक्ष देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे.