रांची:  झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, नेताओं का पाला बदलने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. इसी कड़ी में सोमवार 14 अक्टूबर को कांग्रेस की सीनियर नेता डॉ. मंजू कुमारी ने अपने पिता और पूर्व विधायक सुकर रविदास के साथ भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया. सोमवार को बीजेपी के कार्यालय में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी हिमंत बिस्व सरमा ने मंजू कुमारी और सुकर रविदास को बीजेपी में शामिल कराया. दोनों नेताओं को पार्टी का पट्टा पहनाकर उनका स्वागत किया गया.


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बाबूलाल मरांडी का बयान
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस मौके पर कहा कि सुकर रविदास पहले से ही पार्टी से जुड़े रहे हैं. उन्होंने बताया कि सुकर रविदास जनसंघ के समय से ही पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों का समर्थन करते आ रहे हैं. वह दो बार, 1977 और 1995 में पार्टी का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं. इसके अलावा उनका परिवार भी बीजेपी के साथ जुड़ा रहा है, इसलिए उनकी और उनकी बेटी मंजू कुमारी की पार्टी में वापसी को घर वापसी माना जा सकता है. बाबूलाल मरांडी ने मंजू कुमारी के बारे में कहा कि उनकी योग्यता, अनुभव और मेहनत से पार्टी को काफी फायदा होगा. उन्होंने यह भी कहा कि मंजू कुमारी के पार्टी में आने से बीजेपी झारखंड में और मजबूत होगी, जिससे चुनाव में पार्टी को लाभ मिलेगा.


हिमंत बिस्व सरमा का सरकार पर हमला
असम के मुख्यमंत्री और झारखंड चुनाव के सह-प्रभारी हिमंत बिस्व सरमा ने झारखंड की वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने और सुशासन लाने की सख्त जरूरत है. उन्होंने कहा कि बीजेपी का उद्देश्य है कि जो नेता पार्टी छोड़कर चले गए थे, उन्हें वापस लाया जाए और मिलकर झारखंड को विकास की राह पर ले जाया जाए. हिमंत बिस्व सरमा ने यह भी कहा कि झारखंड को कुशासन से मुक्त करने के लिए बीजेपी सभी वर्गों और शुभचिंतकों से सहयोग और समर्थन की उम्मीद कर रही है. उन्होंने कहा कि राज्य की जनता बदलाव चाहती है और बीजेपी इस बदलाव को लाने के लिए पूरी तरह तैयार है.


चुनाव से पहले बीजेपी की रणनीति
झारखंड में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, बीजेपी अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. पार्टी के लिए यह जरूरी है कि पुराने और सीनियर नेताओं को वापस लाया जाए, ताकि पार्टी का जनाधार और बढ़ सके. मंजू कुमारी और उनके पिता सुकर रविदास जैसे नेताओं के पार्टी में शामिल होने से बीजेपी को आदिवासी और दलित वोट बैंक में भी फायदा मिलने की संभावना है. इससे साफ है कि झारखंड चुनाव में इस बार मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है, जहां एक तरफ बीजेपी अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष भी अपनी रणनीतियों को धार देने में लगा हुआ है.


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