बिहार में तीन सियासी यात्राएं, क्या हैं तीनों के मायने, क्यों एक साथ चल रही है ये यात्राएं?
बिहार में एक तरफ महागठबंधन की सरकार चल रही है वहीं दूसरी तरफ बिहार में सियासी सरगर्मी भी तेज है. राजद और जदयू के गठजोड़ को जहां बेमेल बताकर भाजपा लगातार हमलावर है वहीं जदयू बिहार में अपने गिरते जनाधार को लेकर चिंता में है.
पटना : बिहार में एक तरफ महागठबंधन की सरकार चल रही है वहीं दूसरी तरफ बिहार में सियासी सरगर्मी भी तेज है. राजद और जदयू के गठजोड़ को जहां बेमेल बताकर भाजपा लगातार हमलावर है वहीं जदयू बिहार में अपने गिरते जनाधार को लेकर चिंता में है. जदयू की तरफ से प्रदेश में एक बार फिर से पार्टी के जनाधार को मजबूत करने की कमान नीतीश कुमार ने अपने हाथों में ली है. वहीं नीतीश और अन्य दलों के खिलाफ जन सुराज यात्रा लेकर प्रशांत किशोर यानी पीके सड़कों पर हैं. इस सब के बीच पूरे देश में जारी कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा भी बिहार में चल रही है. ऐसे में इन सभी सियासी यात्राओं के मायने क्या हैं यह जानते हैं.
बता दें कि बिहार में प्रशांत किशोर को सियासी पहचान खूब मिली, नीतीश कुमार की बगल वाली सीट पर बैठे पीके एक समय खूब इतराए लेकिन यह साथ लंबा नहीं चला और प्रशांत को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया, फिर किसी राजनीति दल के साथ बात नहीं बनी तो अपने दम पर बिहार को बदलने की सोच लेकर पीके सुराज यात्रा करने निकल पड़े.
वहीं कांग्रेस की तरफ से भी बिहार में अपनी पार्टी के खत्म हुए जनाधार को मजबूत करने के लिए सियासी यात्रा चल रही है, बिहार में भी कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत कर दी है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी शिरकत की है. इस यात्रा के दौरान बिहार के 20 जिलों में यह यात्रा लगभग 1200 किलोमीटर तक चलेगी.
वहीं अपनी पार्टी का जनाधार बिहार में बेहतरीन करने के लिए नीतीश कुमार समाधान यात्रा निकल चुके हैं. नीतीश कुमार की इस यात्रा के दौरान वह सीधे तौर पर सरकारी कामकाज, विकास योजनाओं की समीक्षा के साथ शराबबंदी को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाएंगे.
वहीं बिहार के सियासी बवाल में प्रशांत किशोर के निशाने पर नीतीश और तेजस्वी हैं और उनकी यह जन सुराज यात्रा बिहार में 3000 किलोमीटर से ज्यादा चलेगी. आपको बता दें कि बिहार में अपनी सियासी दौरे के लिए नीतीश कुमार कई बार बिहार में अलग-अलग यात्राएं कर चुके हैं. नीतीश कुमार बिहार के 18 जिलों में इस यात्रा कि जरिए पहुंच रहे हैं.
नीतीश कुमार ने बिहार में 2005 से अब तक न्याय यात्रा, विकास यात्रा, धन्यवाद यात्रा, प्रवास यात्रा, विश्वास यात्रा, अधिकार यात्रा, संकल्प यात्रा, संपर्क यात्रा, निश्चय यात्रा, समीक्षा यात्रा, जल-जीवन-हरियाली, समाज सुधार यात्रा इसके साथ ही अब वह समाधान यात्रा पर हैं.
वहीं कांग्रेस की बिहार में हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा की शुरुआत बांका से मल्लिकार्जुन खडगे शुरू कर चुके हैं, कांग्रेस इसे हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा का नाम दे रही है. ऐसे में इस यात्रा कि सियासी मायने सिर्फ और सिर्फ एक ही है और वह पूरी तरह से जानाधार की तलाश है. वहीं इसके सथ ही बिहार में सियासत को चमकाने के लिए 'MY' के बाद अब 'CD' यानी चूड़ा-दही सियासत शुरू हो गई है.