एक ओर मां को कैंसर तो दूसरी ओर UPSC का संघर्ष, दोहरी लड़ाई जीतकर रचा इतिहास, बनी IAS
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एक ओर मां को कैंसर तो दूसरी ओर UPSC का संघर्ष, दोहरी लड़ाई जीतकर रचा इतिहास, बनी IAS

UPSC Success Story: आज हम आपको एक ऐसी उम्मीदवार के बारे में बताएंगे, जिन्होंने एक तरफ कैंसर से लड़ती अपनी मां की सेवा की तो दूसरी तरफ सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी. इन परिस्थितियों से लड़ते हुए उन्होंने हार नहीं मानी और अंत में IAS अफसर बनीं.

एक ओर मां को कैंसर तो दूसरी ओर UPSC का संघर्ष, दोहरी लड़ाई जीतकर रचा इतिहास, बनी IAS

IAS Pallavi Verma: भारत में IAS अधिकारी बनना एक ऐसा सपना है, जिसे पूरा करने के लिए लाखों लोग सालों-साल मेहनत करते हैं. हालांकि, इसके बावजूद केवल गिने-चुने उम्मीदवार ही अपना यह सपना पूरा करने में कामयाब हो पाते हैं. वहीं, IAS का पद हासिल करने के लिए देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक सिविल सेवा परीक्षा देनी होती है, जिसे पास करना कोई बच्चों का खेल नहीं है. हालांकि, आज हम आपको एक ऐसी उम्मीदवार के बारे में बताएंगे, जो कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की मिसाल हैं. उन्होंने देश की इस कठिन परीक्षा को निरंतर प्रयास से पार कर दिखाया है.  

नौकरी छोड़ लिया सिविल सेवा में जाने का फैसला
दरअसल, हम बात कर रहे हैं इंदौर की रहने वाली पल्लवी वर्मा की. उनका परिवार एक साधारण बैक्ग्राउंड से है, और उनके परिवार की कोई भी लड़की कभी विश्वविद्यालय तक नहीं पहुंची थी. बायोटेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद, पल्लवी ने चेन्नई में सॉफ्टवेयर टेस्टर की नौकरी की. लेकिन 2013 में, उन्होंने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गईं.  

सात बार किया असफलता का सामना
सात साल के संघर्ष और असफलताओं की लंबी कड़ी का सामना पल्लवी ने अकेले किया. तीन बार प्रीलिम्स परीक्षा में असफलता, एक बार मेंस परीक्षा चूकना और तीन इंटरव्यू में हार के बाद, ऐसा लगने लगा था कि असफलता उनका पीछा नहीं छोड़ेगी. लेकिन 2020 में अपने सातवें प्रयास के दौरान, परिस्थितियां बदलने लगीं.  

एक ओर मां को कैंसर तो दूसरी ओर UPSC का संघर्ष
इस बार उनकी चुनौती सिर्फ परीक्षा पास करने की नहीं थी. उनकी मां कैंसर से लड़ रही थीं और कीमोथेरेपी करवा रही थीं. पल्लवी को अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपनी मां की देखभाल भी करनी पड़ रही थी. यह समय उनके लिए भावनात्मक और मानसिक रूप से बहुत कठिन था. कई बार वह इतनी हताश हो जाती थीं कि परीक्षा छोड़ने का मन करने लगता था. परिवार और रिश्तेदारों की बातें भी उनके आत्मविश्वास को तोड़ने की कोशिश करती थीं. लेकिन उनके माता-पिता के लगातार समर्थन ने उन्हें हार मानने से बचाए रखा.

अपनी गलतियों से लिया सबक
साल 2013 में की गई गलतियों से पल्लवी ने एक बड़ा सबक सीखा: परीक्षा को समझे बिना तैयारी शुरू करना सबसे बड़ी भूल थी. अपने सातवें प्रयास में उन्होंने पूरी तैयारी एक नई रणनीति के साथ शुरू की. उन्होंने अपनी कमजोरियों को पहचाना, समयबद्ध तरीके से पढ़ाई की, और घंटों लाइब्रेरी में बिताए. उनकी मेहनत का फल आखिरकार 2020 में मिला, जब उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में 340वीं रैंक हासिल की.  

IAS अधिकारी के रूप में लाखों लोगों को कर रही प्रेरित
पल्लवी की कहानी केवल सफलता की कहानी नहीं है; यह संघर्ष, धैर्य, और अपने सपनों के प्रति अटूट विश्वास की मिसाल है. आज, वह एक IAS अधिकारी के रूप में लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं. उनकी कहानी बताती है कि कठिन परिस्थितियों में भी, अगर मेहनत और विश्वास के साथ आगे बढ़ा जाए, तो असंभव भी संभव हो सकता है.

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