Bihar Teacher Recruitment: बिहार में होने वाली शिक्षकों की भर्ती लगता है कोर्ट के दरवाजे तक पहुंचने वाली है. सरकार ने शिक्षक भर्ती नियमावली का विरोध करने वालों से सख्ती से निपटने का फैसला किया है तो मुमकिन है कि विरोध करने वाले कोर्ट चले जाएं. उधर, बीपीएससी शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा कराने की तैयारी में जुट गई है. बता दें कि बिहार में शिक्षकों की भर्ती के लिए बीपीएसपी परीक्षा पास करने की अनिवार्य शर्त रख दी गई है. लिखित परीक्षा के साथ बीपीएससी इंटरव्यू भी लेने वाला है. सबसे बड़ी विडंबना है कि इसके बाद भी शिक्षकों को वेतनमान का लाभ नहीं मिलेगा. राज्यकर्मी का दर्जा तो मिल जाएगा पर राज्यकर्मी वाली सुविधाएं नहीं मिलने वाली. यही वो सब कारण है, जिसे लेकर शिक्षक अभ्यर्थी परेशान हैं और वे कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. 


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आइए, इसको डिटेल में समझते हैं. शिक्षकों के लिए वेतन तय किया गया है, वेतनमान नहीं. बीपीएससी से पास होने के बाद भी इन शिक्षकों को प्रमोशन नहीं मिलने वाला. राज्यकर्मी होने पर हर 10 साल में प्रमोशन मिलता है लेकिन इनका प्रमोशन नहीं होने वाला और ये कभी हेडमास्टर नहीं बन पाएंगे. इसके अलावा 2005 से जो भी नियोजित शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं, अगर वे बीपीएससी एग्जाम पास कर भी जाते हैं तो उन्हें नया शिक्षक माना जाएगा. उनकी सेवा में नियोजित शिक्षक के रूप में किए गए काम को नहीं जोड़ा जाएगा. 


सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है कि अगर सभी सीटें पुराने नियोजित शिक्षकों से भर ली जाती है तो नए प्रशिक्षित शिक्षकों की बहाली नहीं हो पाएगी. टीईटी पास करने के बाद भी वे अभ्यर्थी मुंह ताकते रह जाएंगे. इसलिए माना जा रहा है कि यह मामला कोर्ट में जा सकता है. बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है और वह चरणबद्ध आंदोलन के पक्ष में भी है. 


जानकार मानते हैं कि शिक्षक भर्ती के बाद भी नियोजित शिक्षकों का भविष्य अधर में है. अगर वे बीपीएससी परीक्षा पास कर भी जाते हैं तो भी उनको न तो वेतनमान मिलेगा, न प्रमोशन मिलेगा और न ही राज्यकर्मी ये बन पाएंगे. कुछ जानकारों का कहना है कि 2 अक्टूबर 1980 में पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा ने जिस सम्मान से शिक्षकों की भर्ती की थी, वो उसके बाद 2023 तक कभी देखने को नहीं मिली. जानकारों का यह भी कहना है कि नियोजित शिक्षकों की समस्या का समाधान केवल कोर्ट से ही हो सकता है.


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