Begusarai: बिहार के बेगूसराय (Begusarai) में पहली बार एम्ब्रियो ट्रांसफर इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक से पहली बछिया का जन्म हुआ है. जिसके बाद उम्मीद लगाईं जा रही है कि आने वाले दिनों में ये पशुपालकों के लिए वरदान साबित हो सकता है. इस तकनीक ने गाय की नस्ल के संवर्धन को एक नया आयाम दे दिया है. 


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पहले गाय के नस्ल संवर्धन में 5 पुश्त लगाए जाते थे, लेकिन अब ये एक से दो पुश्त में किया जाता है. इससे बछड़ों की बढ़ती संख्या पर भी लगाम लगाईं जा सकती है. इसके अलावा उन्नत बछिया की संख्या बढ़ने से दूध का उत्पादन भी बढ़ सकेगा. बता दें कि बेगूसराय में बढ़ते हुए दूध उत्पादन की वजह से उसे ​डेनमार्क कहा जाने लगा है. बरौनी डेयरी इस समय आसपास के जिलों में भी इस अभियान को चला रही है.


जोकिया गांव से हुई थी शुरुआत 


बिहार में पहली बार मवेशियों के नस्ल संवर्धन एवं संरक्षण के लिए एम्ब्रियो ट्रांसफर इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक की शुरुआत 27 सितंबर 2020 को जोकिया गांव में हुई थी. इसमें जोकिया समिति के पशुपालक ललित कुमार सिंह की गाय में आईवीएफ तकनीक से एम्ब्रियो ट्रांसफर किया गया था. जिसके बाद अब गाय ने पिछले सप्ताह एक स्वस्थ बछिया को जन्म दिया है.


जानिए क्या है आईवीएफ तकनीक


इस तकनीक में गायों या बछियों के गर्भाशय से अंडा लिया जाता है, ये पूरी तरह से सुरक्षित रहता है. इसके बाद अंडे को प्रयोगशाला में ले जाया जाता है. यहां पर अंडे का सीमेन से निषेचन कराया जाता है. इसके बाद निषेचित अंडे को इनक्यूबेटर में सात दिन संरक्षित कर भ्रूण तैयार किया जाता है. इसके बाद भ्रूण को गाय के गर्भ में प्रत्यारोपित किया जाता है.


 



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