Patna: बिहार में कोरोना से लगातार शिक्षकों और शिक्षकेत्तर (नॉन टीचिंग स्टाफ) की मौत हो रही है. कोरोना की दूसरी लहर में लगातार शिक्षकों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है. इसके बाद भी दूसरी लहर में अब तक कितनी मौत हुई है, इस बात का आंकड़ा विभाग के पास नहीं है. 


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वहीं, इस मामले पर विभाग के आला अधिकारी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. जबकि शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने अनौपचारिक बात में कहा कि हमने अपने स्तर से शिक्षकों, प्रोफेसर्स की मौत का आंकड़ा जुटाने की कोशिश की है. जानकारी के अनुसार, बिहार में कोरोना के कारण अब तक छह सौ शिक्षकों और स्कूल से जुड़े दूसरे कर्मचारियों की मौत हो चुकी है. 


इसी बीच पटना के जिला शिक्षा अधिकारी नीरज कुमार ने स्वीकार किया है कि जिले में अप्रैल के महीने में 28 शिक्षकों और दूसरे कर्मचारी की मौत हुई है. खगड़िया जिले में अप्रैल से लेकर आज की तारीख में 21 शिक्षकों और दूसरे कर्मचारियों की मौत हो चुकी है. बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार के अनुसार पूरे बिहार में 600 से ज्यादा शिक्षकों और नॉन टीचिंग स्टाफ की मौत कोरोना से दूसरी लहर में हुई है.


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उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक रेखा कुमारी ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि विश्वविद्यालयों में कोरोना से हुई मौत का आंकड़ा जुटाने में थोड़ा वक्त लगेगा. पटना में दो परंपरागत सरकारी विश्वविद्यालयों पटना और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय को भी कोरोना के कारण अपने प्रोफेसर्स को खोना पड़ा है. 


पाटिलपुत्र विश्वविद्यालय के डीएन प्रोफेसर डॉक्टर एके नाग के अनुसार अब तक कार्यरत पांच और रिटायर्ड पांच शिक्षकों की मौत कोरोना से हुई है. ये आंकड़ा 15 अप्रैल से लेकर 19 मई तक का है. वहीं, पटना यूनिवर्सिटी को भी अपने शिक्षकों को कोरोना की वजह से गंवाना पड़ा है. विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रोफेसर रजनीश कुमार के मुताबिक दूसरी लहर में कोरोना के कारण छह शिक्षकों की मौत हुई है. इसके अलावा 2 अतिथि शिक्षकों की मौत भी कोरोना से हुई है. 


ऐसे में साफ है कि सरकार भले ही शिक्षकों के मौत के आंकड़ों को छुपाए लेकिन राज्य में कोरोना की दूसरी लहर में कई शिक्षकों की मौत हुई है.