Bihar Flood News: नेपाल में हो रही बारिश से बिहार में बाढ़ से अब हालात काफी चिंताजनक हो गए हैं. प्रदेश की नदियों का जलस्तर इतना बढ़ा हुआ है कि अब वो अपने किनारे को तोड़कर प्रलय मचाने में जुटी हैं. नदियों में पानी का दबाव इतना बढ़ गया है कि अब तक 7 बंध टूट चुके हैं. इससे राज्य के करीब 12 जिलों के 77 प्रखंडों के 546 पंचायत पानी में डूब चुके हैं. बिहार सरकार की ओर से अलर्ट जारी किया है. बाढ़ ग्रस्त इलाकों में लोगों को गांवों से निकालकर ऊंचे स्थान पर शिफ्ट करने का काम शुरू हो चुका है. हालात इतने बिगड़ गए हैं कि लोग इन परिस्थितियों की तुलना 1986 से कर रहे हैं. ऐसे में सवाल ये है कि आखिर हर साल बारिश में बिहार बाढ़ की चपेट में क्यों आ जाता है? बिहार की बाढ़ का कनेक्शन हर बार नेपाल से क्यों जुड़ता है? इसके अलावा 1986 से 2024 तक बाढ़ रोकने में सरकार नाकाम क्यों रही?


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वर्षों से चली आ रही इस समस्या पर सरकार के तमाम दावों के बावजूद हालात वैसे ही हैं, जैसे हर साल रहते हैं. बिहार सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद राज्य का 68,800 वर्ग किमी हर साल बाढ़ में डूब जाता है. इसके चार बड़े कारण बताए जा रहे हैं. 


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1. नेपाल का पानी- बिहार में जल प्रलय लाने में नेपाल की अहम भूमिका रहती है. नेपाल में होने वाली बारिश का पूरा पानी बिहार में बहने वाली नदियों में चला आता है, जिससे प्रदेश का एक बड़ा भूभाग जलमग्न हो जाता है. इस बार भी बीते कुछ दिनों से नेपाल में लगातार बारिश हो रही है, इसके कारण नेपाल ने कोसी बैराज से 9.13 लाख क्यूसेक पानी छोड़ दिया. इससे पहले नेपाल ने 5 अक्टूबर 1968 को कोसी बराज से 9.13 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा था. तब बिहार में अबतक की सबसे भयानक बाढ़ आई थी.


2. नदियों का कटाव- बिहार में हिमालय से आने वाली गंगा की सहायक नदियां कोसी, गंडक और घाघरा बहुत ज्यादा गाद लाती हैं. वे इसे गंगा नदी में अपने मुहाने पर जमा करती हैं. इसकी वजह से बारिश के दिनों में सहायक नदियों का पानी आसपास के इलाकों में फैलने लगता है. वहीं बरसात से पहले बिहार सरकार की ओर बाढ़ से बचने के लिए कई तैयारियां की जाती हैं. नदियों का कटाव रोकने के लिए तटबंधों को मजबूत करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं. लेकिन नेपाली पानी की वजह से बिहार में नदियां अक्सर अपना मार्ग बदल देती हैं. इसकी वजह से सरकार की तैयारियां नाकाम साबित होती हैं. 


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3. नदियों पर अतिक्रमण- नदी किनारे अतिक्रमण भी बिहार को डुबाने में अहम भूमिका निभाता है. प्रदेश के भू माफिया भी लगातार नदी के साथ लगी जमीनों पर अवैध कब्जा करके उसकी खरीद बिक्री कर रहे हैं. इससे इससे नदियों का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है. अतिक्रमण के कारण प्रदेश की कई छोटी नदियां अब नालों में तब्दील हो चुकी हैं. इस कारण से बारिश के समय नदियों में पानी जमा होने लगता है. जिसके चलते पानी रिहायशी इलाकों में घुसने लगता है और लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ता है. इसके बावजूद शासन-प्रशासन भू-माफियाओं पर नकेल कसने में नाकाम साबित होते रहे हैं.


4- पेड़ों की अंधाधुंध कटाई- बिहार में जलग्रहण क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) में पेड़ों की लगातार अंधाधुंध कटाई हो रही है. इसकी वजह से कैचमेंट एरिया में पानी रुकता ही नहीं. कोसी नदी का कैचमेंट एरिया 74,030 वर्ग किमी है. इसमें से 62,620 वर्ग किमी नेपाल और तिब्बत में है. सिर्फ 11,410 वर्ग किमी हिस्सा ही बिहार में है. पहाड़ों पर स्थित नेपाल और तिब्बत में ज्यादा बारिश होती है तो पानी वहां के कैचमेंट एरिया से बहकर बिहार में स्थित निचले कैचमेंट एरिया में आता है.


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