Bihar: बिहार का वह मंदिर जहां दी थी मां सीता ने अग्निपरीक्षा, गर्म जल कुंड के साथ यहां देखने को बहुत कुछ
जिस तरह उत्तर प्रदेश में इलाबाद के संगम तट पर लगनेवाला माध मेला लोगों के लिए आकर्षमा का केंद्र रहता है. वैसे ही बिहार में भी माघ मेले का आयोजन होता है और यह माघ मेला पूरे एक महीने के लिए आयोजित होता है.
मुंगेर: जिस तरह उत्तर प्रदेश में इलाबाद के संगम तट पर लगनेवाला माध मेला लोगों के लिए आकर्षमा का केंद्र रहता है. वैसे ही बिहार में भी माघ मेले का आयोजन होता है और यह माघ मेला पूरे एक महीने के लिए आयोजित होता है. बता दें कि बिहार के मुंगेर जिले में इस मेले का आयोजन होता है और इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाते हैं. अब ऐसे में आपको जानना जरूरी है कि यहां ऐसा क्या है जहां इस मेले का आयोजन किया जाता है.मुंगेर में सीताकुण्ड जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर पूरब स्थित है.
क्या है मान्यता
दरअसल बिहार के मुंगेर जिले में सीताकुण्ड स्थित है. माघ के महीने में बड़ी संख्या में यहां लोग इसी कुण्ड में डुबकी लगाने पहुंचते हैं. त्रेता युग से जुड़ी कथा के अनुसार माता सीता ने लंका से लौटकर आने के बाद इसी कुंड में अग्नि परीक्षा दी थी. माता सीता इस अग्निपरीक्षा में सफल रही थीं और उन्होंने यहां की अग्नि को शांत करने के लिए तीन बुंद पसीने का इस्तेमाल किया था. इस कुंड का जल सालों भर गर्म रहता है. जबकि साथ ही चार और कुंड हैं. जिसे राम कुंड, लक्ष्मण कुंड, भरत कुंड और सीता कुंड के नाम से लोग जानते हैं. इन कुंड़ों का जल एकदम शीतल रहता है. पौराणिक कथाओं की मानें तो सीता की अग्निपरीक्षा के बाद चारों भाइयों ने अपने बाण से इन कुंड़ों का निर्माण किया.
आसपास क्या है
बता दें कि जब रावण को मारकर और सीता को लेकर प्रभु श्री राम अयोध्या लौटे तो उन्हें कुंबोधर ऋषि ने बताया की उन्होंने ब्राह्मण की हत्या की है ऐसे में उन्हें ब्रह्म हत्या का पाप लगा है. ऐसे में आप सारे तीर्थों का भ्रमण करें तभी इस पाप से आपको मुक्ति मिल सकती है. ऋषि की बात सुनकर श्रीराम माता सीता और तीनों भाइयों के साथ तीर्थ यात्रा पर निकल गए. वहीं यहां वह मुद्गल ऋषि के आश्रम पर रुके थे. इसी मुद्गल आश्रम के पास आज सीताचरण मंदिर एवं कष्टहरणी घाट स्थित है.
पूजा से पहले यहां स्नान की परंपरा
कथाओं की मानें तो यहां ऋषि मुद्गल ने सबके हाथों से प्रसाद ग्रहण किया लेकिन रावण के द्वारा सीता के हरण की वजह से उन्होंने मां सीता के हाथ से प्रसाद ग्रहण नहीं किया. जिसके बाद माता सीता ने यहां अग्निकुंड में अपनी परीक्षा दी थी. यहां इसी सीता कुंड में स्नान के बाद श्रद्धालु पूजा अर्चना करते हैं और यहां मुंडन संस्कार भी संपन्न होता है.
यहां सीता ने की थी सूर्य की उपासना
बता दें कि यहां सीता के आने के प्रमाण इस बात से मिलते हैं कि मुंगेर में बह रही गंगा जी के बीच एक टीले पर सीताचरण मंदिर है. पौराणिक कथाओं की मानें को यहां माता सीता ने सूर्योपासना की थी.