पटना: शराबबंदी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों में से एक है, जिसका मिशन महिला मतदाताओं को खुश रखना है. हालांकि, राज्य में जहरीली शराब की त्रासदियों ने सत्ताधारी दल के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.


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राज्य सरकार ने कभी भी जहरीली शराब की घटनाओं में मौत के आधिकारिक आंकड़े नहीं दिए हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह संख्या चार अंकों के आंकड़े से ऊपर पहुंच गई है. यही वजह है कि न सिर्फ विपक्ष, बल्कि उसके गठबंधन सहयोगी भी कानून के गलत क्रियान्वयन पर सवाल उठा रहे हैं.


कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में नीतीश कुमार ने कहा कि शराबबंदी का फैसला उन महिलाओं की कई शिकायतों के बाद लिया गया, जिनके पति शराब के नशे में घरेलू हिंसा में शामिल थे.


6 साल पहले की गई शराबबंदी
बिहार में अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू की गई थी और इसका दुरुपयोग जमीन पर भी दिखाई देने लगा था. गठबंधन सहयोगी भाजपा और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एचएएम) ने कानून की समीक्षा और संशोधन की मांग की है, हालांकि, नीतीश कुमार के लिए यह प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है.


आरजेडी ने बीजेपी पर लगाए आरोप
राजद नेता और राज्य प्रवक्ता चितरंजन गगन ने बिहार में शराबबंदी की विफलता के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया.


उन्होंने कहा, 'अगर हम याद करें, जब बिहार में शराबबंदी अधिनियम लागू हुआ था, तब महागठबंधन राज्य में शासन कर रहा था और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे. हमने जमीन पर इसके क्रियान्वयन की तैयारी और कार्यान्वयन में उनका समर्थन किया है. यह सुचारु रूप से चल रहा था, जब राजद सत्ता में था. तब नीतीश कुमार (Nitish Kumar) गठबंधन से हट गए और बिहार में सरकार बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिला मिला लिया.'


'साथियों की कमोजर करना बीजेपी की आदत'
गगन ने कहा, 'वहां से स्थिति बदलने लगी और बिहार में जहरीली त्रासदी होने लगी. गठबंधन में रहकर अपने साथी को कमजोर बनाना भाजपा का असली 'चल, चरित्र और चेहरा' है. जैसे दीमक लकड़ी को खोखला कर देता है, भाजपा उसी तरीके से काम करती है. भाजपा के साथ रहने का परिणाम क्या होता है, यह शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) को अच्छी तरह पता है.'


'शिवसेना-अकाली दल से सीख ले जदयू'
राजद नेता ने कहा, 'नीतीश कुमार 1996 में भाजपा के साथ आए थे, जबकि शिवसेना और शिअद सबसे पुराने सहयोगी हैं, लेकिन उनका क्या हुआ. वे पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं. भाजपा की नीति क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन करने और सत्ता में रहते हुए उन्हें कमजोर बनाने की है.'


उन्होंने कहा, 'अब, यह जमीन पर दिखाई दे रहा है जब भाजपा ने बिहार में 200 विधानसभा क्षेत्रों में 'प्रवास कार्यक्रम' किया था. इसके राज्य सह प्रभारी हरीश द्विवेदी ने भी कहा था कि उनकी पार्टी सभी 243 विधानसभा सीटों पर ऐसा ही करेगी. जदयू के लिए स्पष्ट संदेश है कि भाजपा को अब उसका साथ नहीं चाहिए और 2024 के लोकसभा चुनाव में वह अकेले जाना चाहती है.'


गगन ने कहा, लोकसभा चुनाव के परिणाम आगे 2025 की विधानसभा चुनाव का रुख तय करेंगे. भाजपा ने पहले ही घोषणा कर दी है कि जद (यू) के साथ उसका गठबंधन 2025 तक रहेगा, जो स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि पूर्व 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव के लिए सत्ता में रहना चाहता है और सरकारी तंत्र का उपयोग अपने पक्ष में करना चाहता है. भाजपा जानती है कि यदि यह इस समय अलग होने की घोषणा करता है, 2015 के विधानसभा चुनाव के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं. भाजपा थिंक टैंक अच्छी तरह से जानता है कि वे बिहार में लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को नहीं हरा सकते हैं. इसलिए, वे जद (यू) के साथ रह रहे हैं.'


राजद के आरोप पर पलटवार करते हुए भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा, 'शराब बंदी का फैसला आम लोगों के हित में सभी राजनीतिक दलों ने एकमत से लिया था, हालांकि राजद इससे आंतरिक रूप से संतुष्ट नहीं था. जब हम जद (यू) के साथ सत्ता में आए, हमने इसे जारी रखा और किसी भी बिंदु पर चुनौती नहीं दी गई. राजद का आरोप भाजपा पर निराधार था.'


'गठबंधन धर्म निभाना बीजेपी अच्छे से जानती'
सिंह ने कहा, 'जहां तक गठबंधन के कमजोर होने का सवाल है, गठबंधन सहयोगियों के साथ सरकार चलाने का हमारा लंबा इतिहास रहा है. हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने 26 गठबंधन सहयोगियों के साथ सफलतापूर्वक सरकार चलाई. इसलिए हम सभी को आगे ले जाते हैं.'


प्रवास कार्यक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सिंह ने कहा, 'हमने केंद्र और राज्य में एनडीए सरकार द्वारा किए गए कार्यो को जनता के सामने लाने के लिए 200 विधानसभा क्षेत्रों में प्रवास कार्यक्रम किया. हम एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत सरकार चला रहे हैं.'


मांझी ने उठाए सवाल
वहीं, पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने दावा किया कि शराबबंदी से बिहार में पुलिस में भ्रष्टाचार आया है. 78 वर्षीय वयोवृद्ध दलित नेता मांझी ने आगे कहा कि उनके पिता और माता भी 'लाल पानी' (शराब) पीते थे, लेकिन उन्होंने अपने जीवन में कभी शराब को नहीं छुआ.


(आईएएनएस)