What is GI Tag: बिहार के पश्चिम चंपारण के प्रसिद्ध मर्चा चावल को सरकार ने जीआई टैग (GI Tag) दे दिया है. इसी के साथ बिहार में जीआई टैग कृषि उत्पादों की संख्या 6 हो गई है. इस लिस्ट में मर्चा चावल के अलावा कतरनी चावल, भागलपुरी जर्दालू आम, मगही पान, शाही लीची और मिथिला मखाना भी शामिल हैं. जब से मर्चा चावल को जीआई टैग मिला है, जीआई टैग को काफी सर्च किया जा रहा है. लोग जानना चाह रहे हैं कि आखिर जीआई टैग क्या होता है और इसे मिलने के बाद क्या फायदा होता है? 


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GI का पूरा मतलब Geographical Indication यानी भौगोलिक संकेत. जीआई टैग (GI Tag) एक प्रतीक है, जो मुख्य रूप से किसी उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिए दिया जाता है. जीआई टैग उत्पाद की विशेषता बताता है. आसान शब्दों में कहें तो जीआई टैग बताता है कि विशेष उत्पाद किस जगह पैदा होता है या इसे कहां बनाया जाता है. यह उन उत्पादों को ही दिया जाता है, जो अपने क्षेत्र की विशेषता रखते हों, ये कहें कि वह सिर्फ उसी क्षेत्र में पैदा होते हों या बनाए जाते हों.


कौन देता है GI Tag?


भारत की संसद ने वर्ष 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत 'जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स' लागू किया था. 2003 में जीआई टैग देने की शुरुआत हुई थी. साल 2004 में सबसे पहले पश्चिम बंगाल की दार्जलिंग चाय को जीआई टैग दिया गया था. 


जीआई टैग का फायदा?


जीआई टैग के जरिये उत्पादों को कानूनी संरक्षण मिलता है, मतलब मार्केट में उसी नाम से दूसरा प्रोडक्ट नहीं लाया जा सकता है. इसके साथ ही जीआई टैग किसी उत्पाद की अच्छी गुणवत्ता का पैमाना भी होता है, जिससे देश के साथ-साथ विदेशों में भी उस उत्पाद के लिए बाजार आसानी से मिल जाता है. साधारण भाषा में कहें तो जीआई टैग के जरिए उस उत्पाद के लिए रोजगार से लेकर राजस्व वृद्धि तक के दरवाजे खुल जाते हैं.


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कैसे मिलता है जीआई टैग?


किसी उत्पाद के लिए GI TAG प्राप्त केने के लिए सबसे पहले तो आवेदन की प्रक्रिया को पूरा करना होता है. जीआई टैग के लिए कोई भी व्यक्तिगत निर्माता, संगठन इसके लिए भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के तहत काम करने वाले Controller General of Patents, Designs and Trade Marks (CGPDTM) में आवेदन कर सकता है. साक्ष्यों के आधार पर CGPDTM उस उत्पाद के उचित मानकों का परीक्षण करती है. जैसे ही यह उत्पाद मानकों पर खरा उतरता है इसे GI टैग दिया जाता है.


10 साल बाद कराना होता है रिन्यू


जीआई टैग सिर्फ 10 साल के लिए मिलता है. इसके बाद में रिन्यू करा सकते हैं. जीआई टैग मिलने से प्रोडक्ट का मूल्य और उससे जुड़े लोगों का अहमियत बढ़ जाती है. फेक प्रॉडक्ट को रोकने में मदद मिलती है. संबंधित जुड़े हुए लोगों को इससे आर्थिक फायदा भी होता है.


300 से ज्यादा उत्पादों के पास GI Tag


देश में इस समय 300 से ज्यादा उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है. इनमें कश्मीर का केसर और पश्मीना शॉल, नागपुर के संतरे, बंगाली रसगुल्ले, बनारसी साड़ी, तिरुपति के लड्डू, रतलाम की सेव, बीकानेरी भुजिया, अलबाग का सफेद प्याज, भागलपुर का जर्दालु आम, महोबा का पान आदि शामिल हैं.