उपचुनाव के नतीजों ने इंडिया गठबंधन में दरार डाली, अखिलेश यादव के क्लीन स्वीप का दावा फेल!
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उपचुनाव के नतीजों ने इंडिया गठबंधन में दरार डाली, अखिलेश यादव के क्लीन स्वीप का दावा फेल!

UP By-election: उत्तर प्रदेश उपचुनाव के नतीजों ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच खटपट को उजागर कर दिया है. दोनों पार्टियों के नेता अब एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगे हैं, जिससे इंडिया गठबंधन की एकता पर सवाल उठने लगे हैं.

उपचुनाव के नतीजों ने इंडिया गठबंधन में दरार डाली, अखिलेश यादव के क्लीन स्वीप का दावा फेल!

UP By-election: उत्तर प्रदेश उपचुनाव के नतीजों ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच खटपट को उजागर कर दिया है. दोनों पार्टियों के नेता अब एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगे हैं, जिससे इंडिया गठबंधन की एकता पर सवाल उठने लगे हैं.

अखिलेश यादव के क्लीन स्वीप का दावा फेल

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उपचुनाव में क्लीन स्वीप का दावा किया था, लेकिन उनकी पार्टी केवल दो सीटों पर सिमट गई. इस नतीजे ने कांग्रेस को समाजवादी पार्टी पर निशाना साधने का मौका दे दिया है.

कांग्रेस ने सपा पर साधा निशाना

कांग्रेस का कहना है कि सपा ने उन्हें सीट न देकर बड़ी गलती की. कांग्रेस ने तर्क दिया कि अगर उसे आधी सीटें मिलतीं और वह अपने चुनाव चिह्न पर लड़ती, तो नतीजे कुछ और होते. पार्टी ने इसे सपा की रणनीतिक चूक करार दिया.

जुबानी जंग के आरोप-प्रत्यारोप

कांग्रेस और सपा नेताओं के बीच बयानबाजी तेज हो गई है. कांग्रेस महासचिव मुकुंद तिवारी ने कहा कि गठबंधन में सपा की भूल का खामियाजा भुगतना पड़ा. वहीं, सपा नेता मानसिंह यादव ने कांग्रेस को यूपी में कमजोर बताते हुए उनकी दावेदारी को खारिज किया.

गठबंधन की एकता पर सवाल

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उपचुनाव के ये नतीजे गठबंधन की मजबूती पर सवाल खड़े कर रहे हैं. दोनों पार्टियों के बीच बढ़ती तनातनी से यह साफ हो गया है कि सहयोग की राह आसान नहीं है.

'दो लड़कों' के बीच पुरानी खींचतान

यह स्थिति 2017 के विधानसभा चुनाव की याद दिलाती है, जब अखिलेश यादव और राहुल गांधी का गठबंधन चुनावी नतीजों के बाद टूट गया था. अब 2024 में फिर से 'दो लड़कों' की इस लड़ाई ने नया मोड़ ले लिया है.

क्या 2024 तक टिकेगा गठबंधन?

उपचुनाव के बाद के हालात को देखते हुए यह सवाल उठने लगा है कि क्या कांग्रेस और सपा लोकसभा चुनाव तक एकजुट रह पाएंगी. जुबानी हमलों ने यह संकेत दिया है कि 2024 की राह में दोनों पार्टियों के लिए कई चुनौतियां हैं.

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