Bihar Weather: बिहार में मानसून फिर होगा एक्टिव! बारिश के इंतजार में बैठे किसान, धान की रोपनी पर मंडरा रहा संकट
Bihar Weather, 31 July 2024: बिहार के लोगों से मानसून रूठा हुआ है. आम लोग उमस भरी गर्मी से परेशान है तो किसान अपनी धान की फसलों को लेकर चिंता में है. कृषि विभाग का दावा है कि राज्य के 38 जिलों में 47% रोपनी हुई है.
पटनाः Bihar Weather, 31 July: बिहारवासियों से मानसून रूठा हुआ है. इस साल बिहार में अच्छी बारिश का नामोनिशान नहीं है. जिसके वजह से आम लोगों के साथ-साथ किसानों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. किसान आसमान में नजर लगाए बैठे बारिश का इंतजार कर रहे है तो वहीं आम लोग उमस वाली गर्मी से परेशान हो गए है. 24 घंटे एसी चला-चलाकर बिजली के बिल के रेट अब आसमान छू रहे है.
राज्य के 38 जिलों में 47% रोपनी हुई
वहीं कृषि विभाग का दावा है कि राज्य के 38 जिलों में 47% रोपनी हुई है. सासाराम में आषाढ़ में थोड़ी बारिश के बाद किसानों ने बिचड़े डाले थे. आषाढ़ के अंतिम में हुई बारिश में रोपनी शुरू कर दी थी. लेकिन सावन के 10 दिनों में इतनी भी बारिश नहीं हुई कि बिचड़ों के काम आये. जुलाई अब तक 238 एमएम बारिश होनी में चाहिए थी. लेकिन 138 एमएम हुई है. कुछ राहत रिहंद और बाणसागर जलाशयों से इंद्रपुरी जलाशय को मिले पानी से है. नहरों में पानी है. लेकिन बिना बारिश के पानी के रोपनी उचित नहीं है. ऐसे में रोहतास जिले में मात्र 52.8% ही रोपनी हो सकी है.
धान की रोपनी का लक्ष्य अभी तक आधा भी नहीं पहुंचा
उत्तर बिहार के कई जिलों में धान की रोपनी का लक्ष्य आधा भी नहीं पहुंच सका है. किसानों ने लक्ष्य के हिसाब से बिचड़े तो गिराया, लेकिन बारिश नहीं होने से धान रोपनी लक्ष्य से बहुत पीछे है. समस्तीपुर में 56% धान रोपनी हुई है. जिले में जुलाई में 155 मिमी बारिश हुई, जो औसत से 44% कम है. जून में भी महज 30.3 मिमी बारिश हुई, जो औसत से 77% कम रही. पूर्वी चंपारण में भी लक्ष्य का अभी 65% धान की रोपनी हो पाई है. किसानों ने मांग की है कि डीजल अनुदान के बजाय बिजली शुल्क सरकार को माफ करनी चाहिए. मुजफ्फरपुर जिले में महज 44% ही रोपनी हो सकी है. सीतामढ़ी में रोपनी की स्थिति थोड़ी अच्छी है. जिले में 84% रोपनी हो गयी है
नदियों के पास भी इस साल खेत सूखे रह गए
कोसी-सीमांचल व पूर्वी बिहार मानसून की दगाबाजी से सूखे की चपेट में है. कोसी-सीमांचल के ऐसे भी इलाके हैं, जहां नदियों में नेपाल से पानी आने से बाढ़ आयी, लेकिन अनियमित बारिश से खेत प्यासे रह गये. कटिहार-पूर्णिया किशनगंज जिलों में धान जैसे-तैसे लगा ली, लेकिन अब बारिश के रूठने से पौधे पीले पड़ने लगे है, बांका व भागलपुर सीमा पर कतरनी उत्पादक किसान भी परेशान है. शाहकुंड, अकबरनगर, बौसी, अमरपुर में खेतों में लगे धान के बिवडे पीले पड़ चुके हैं. दोनों जिलों में रोपनी 30% से अधिक प्रभावित हो चुकी है. धान का कटोरा कहे जाने वाले लखीसराय के टाल क्षेत्र में बहरी पटवन के सहारे किसान बिचड़े को बचाये हुए हैं, लेकिन ऐसे ही हालात रहे, तो धनरोपनी मुश्किल हो जायेगी. सुपौल व मधेपुरा के ऊपरी इलाके में धान के पौधे बर्बाद हो रहे है. खगड़िया और नवगछिया की सीमा पर स्थित दियारा में धान की रोपनी चौथाई भी नहीं हुई है.
मानसून फिर सक्रिय होने की उम्मीद कम
पटना, बंगाल की खाड़ी के तटवर्ती क्षेत्र में बन रहे कम दबाव के कमजोर क्षेत्र से बिहार में पुरवैया बहने के बाद भी वातावरण में आर्द्रता की समुचित आपूर्ति नहीं हो पा रही हैं. साथ ही मानसून की बारिश कराने में जरूरी मौसमी घटनाएं भी नहीं है. लिहाजा बिहार में मानसून 18-19 दिन से अनुपस्थित है. मानसून की ट्रफ विहार से अभी काफी दूर है. कोई भौगोलिक दशा परिस्थितियां भी नहीं बन रही हैं कि उससे यह पूर्वानुमान लगाया जा सके कि कब तक सक्रिय हो सकता है. ऐसे में झमाझम के लिए अभी और करना इंतजार होगा.
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