Patna: जब किसी अस्पताल से आग लगी की घटना सामने आती है और उसमें कई मरीजों की जलने से मौत हो जाती है तो जांच रिपोर्ट में ज्यादातर मामलों में अस्पताल प्रबंधन की फायर सेफ्टी के प्रति लापरवाही ऐसी घटनाओं का बड़ा कारण बनती हैं. इस मामले को देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बेहद गंभीर मानते हुए तल्ख टिप्पणी की है.


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बता दें कि अस्पतालों में अक्सर अगलगी की घटनाएं सामने आती रहती हैं. इस दौरान आग लगने से कई बार कितने मरीजों की मौत के बावजूद अब भी अस्पताल प्रशासन फायर सेफ्टी को उतनी गंभीरता से नहीं लेते जिसकी वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं. राजकोट, अहमदाबाद, भरूच, ठाणे में कोरोना डेडिकेटेड अस्पतालों में आग लगने से कई मरीजों की मौत हो गई, जिसके बाद अस्पतालों में फायर सेफ्टी को लेकर सवाल उठने लगे हैं.


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NMCH में फायर सेफ्टी को लेकर लापरवाही
पटना के NMCH जहां बड़ी तादाद में मरीज आते हैं, यहां पर फायर एक्सटींनगुईशर तो लगाए गए हैं लेकिन इन्हें इस तरीके और ऐसी जगहों पर रखा गया है जहां से इन्हें किसी घटना के समय ऑपरेट करना बेहद मुश्किल साबित हो सकता है.


IGIMS में फायर सेफ्टी को लेकर चौकसी
वहीं, पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में फायर सेफ्टी को लेकर पूरी चौकसी दिखी. यहां एक मिनी फायर स्टेशन भी बनाया गया है जो किसी भी विपरीत परिसथिति के लिए पूरी तरीके से तैयार है. इसे लेकर अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉक्टर मनीष मंडल ने कहा, 'अस्पतालों में आग लगने से ज्यादा नुकसान होने की संभावना होती है क्योंकि बड़ी तादाद में यहां मरीज भर्ती रहते हैं, जो ऐसी स्थिति में भागने में भी सक्षम नहीं होते.'


PMCH में ज्यादातर फायर उपकरण हैं फेल
इधर, सूबे के सबसे बड़े अस्पताल यानी पीएमसीएच की बात करें तो ये अक्सर अपनी बदइंतजामी की वजह से सुर्खियों में रहता है. यहां रखे ज्यादातर फायर उपकरण फेल हैं. इसके अलावा जर्जर तारों और अतिक्रमण की वजह से भी यहां आग लगने का खतरा ज्यादा है.