नीतीश सरकार के लड़कियों की मुफ्त शिक्षा के ऐलान से विश्वविद्यालयों की बढ़ी मुसीबतें, जानिए कैसे
Bihar News: नीतीश सरकार ने पोस्ट ग्रेजुएशन तक लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने का ऐलान तो कर दिया लेकिन इससे राज्य के विश्वविद्यालयों का आर्थिक बोझ बढ़ गया है. वह भी तब जब यूनिवर्सिटी में शिक्षा विभाग का करोड़ो का भुगतान बाकी है.
Patna: बिहार की नीतीश सरकार (Nitish Kumar) ने राज्य में लड़कियों की शिक्षा में भागेदारी बढ़ाने के लिये के लिये एक नयी पहल की शुरुआत की है. राज्य में पैसों के अभाव में किसी भी लड़की को अपनी शिक्षा छोड़ने की जरुरत नहीं पड़े इसलिये सूबे की सरकार ने पोस्ट ग्रेजुएशन तक लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने का ऐलान किया था.
नीतीश सरकार का ये फैसला सराहनीय योग्य है.लेकिन सरकार के इस योजना के ऐलान के बाद विश्वविद्यालयों (Bihar University) को भारी नुकसान पहुंचना तय है. शिक्षा विभाग ने इस योजना में होने वाली आर्थिक क्षति को पूरा करने का विश्वविद्यालयों से वादा किया. लेकिन शिक्षा विभाग के पास इसका जवाब नहीं है कि कब तक ये वादा पूरा किया जायेगा. पहले से ही पटना के लगभग सभी कॉलेजों का शिक्षा विभाग पर करोड़ों का बकाया है. ऐसे में राज्य सरकार का ये वादा हवा-हवाई ना निकल जायें.
नीतीश सरकार में लड़कियों (Free Education For Girls) की राज्य में हर क्षेत्र में हिस्सेदारी बढ़ी है. नौकरियों में 35 फीसदी आरक्षण की बात से लेकर कॉलेजों में मुफ्त एडमिशन और पढ़ाई तक की व्यवस्था इस सरकार की तरफ से की गई है. हालांकि, पोस्ट ग्रेजुएट तक लड़कियों को मुफ्त पढ़ाई की योजना सुनने में तो अच्छी लगती है लेकिन इस लोकप्रिय योजना का सबसे ज्यादा नुकसान कॉलेजों और यूनिवर्सिटी को उठाना पड़ रहा है. पटना के सारे सरकारी कॉलेज में शिक्षा विभाग के ऊपर करोड़ों का बकाया है. पटना यूनिवर्सिटी में सिर्फ मगध महिला कॉलेज ही ऐसा कॉलेज है, जिसे पीजी तक मुफ्त पढ़ाई की योजना के तहत 4 करोड़ की बकाया राशि मिली है लेकिन पटना यूनिवर्सिटी के दूसरे कॉलेजों को अब तक बकाया राशि का इंतजार है.
एक कौड़ी भी विश्वविद्यालयों को नहीं दी गयी
दरअसल, साल 2015 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने एससी-एसटी और छात्राओं की पोस्ट ग्रेजुएशन तक मुफ्त पढ़ाई कराने की घोषणा की थी. इसके साथ ही कॉलेजों को मुफ्त पढ़ाई की इस योजना से होने वाले नुकसान की भरपाई का भी वादा किया था. तब से लेकर अब तक कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में कई सत्र बीत चुके हैं, लेकिन शिक्षा विभाग की तरफ से अब तक एक कौड़ी भी विश्वविद्यालयों को नहीं दी गयी है.
कॉलेजों को पैसे नहीं मिलने से उनका आर्थिक तंत्र बिगड़ा
कॉलेजों को पैसे नहीं मिलने से उनका आर्थिक तंत्र पूरी तरह बिगड़ चुका है. विश्वविद्यालयों में मेंटनेंस, सफाई, लैब, कंप्यूटर सहित दूसरे काम पैसे के अभाव में रूके हुए हैं. पटना यूनिवर्सिटी और पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी में सिर्फ ऐसे ही कॉलेजों की स्थिति अच्छी है, जहां वोकेशनल कोर्स चल रहे हैं. बाकी महिला महाविद्यालयों का काम भगवान भरोसे है. वहीं पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के डीन प्रोफेसर एके नाग ने बताया कि यूनिवर्सिटी के 25 अंगीभूत कॉलेजों का करोड़ों का बकाया शिक्षा विभाग के ऊपर है.
राज्य का शिक्षा बजट 35 हजार करोड़ रूपए का फिर भी बकाया
सोचने वाली बात यह है कि यह हाल उस बिहार का है जिस राज्य का शिक्षा बजट 35 हजार करोड़ रूपए का है. सरकार की मुफ्त शिक्षा की योजना गलत नहीं है. लेकिन विभाग को ये बात ध्यान रखनी चाहिये कि योजना हवाहवाई ना बने धरातल पर दिखें. अगर सरकार ने लड़कियों को मुफ्त शिक्षा का वादा किया है, तो उसे पूरा भी करना होगा.
(इनपुट- प्रीतम पांडेय)