Patna: 21 साल पहले रामविलास पासवान ने जब LJP बनाई थी तो उन्होंने ये सोचा भी नहीं होगा कि उनकी मौत के एक साल के अंदर पार्टी ऐसे बिखड़ने लगेगी. उन्होने सपने में भी नहीं सोचा होगा की भाई का रास्ता अलग होगा और बेटे का अलग, लेकिन अब एलजेपी की सच्चाई यही है कि पार्टी पर कब्जे को लेकर परिवार में ही जंग छिड़ गई है.
 
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव के पहले रामविलास पासवान का निधन हो गया था. चिराग चाहते थे कि LJP अकेले चुनाव लड़ें जबकि पार्टी के कई सदस्य NDA के साथ चुनाव लड़ना चाहते थे. हालांकि, उस समय सबने चिराग की बात मान ली, लेकिन जब नतीजे अच्छे नहीं आए तो पशुपति पारस की अगुवाई में चिराग को छोड़कर सब एक होने लगे. इस बीच जैसे ही पिछले दिनों मोदी कैबिनेट के विस्तार की खबर शुरू हुई तो पशुपति पारस ने LJP पर कब्जे का दांव फेंक दिया.
 
वहीं, खगड़िया से एलजेपी के सांसद महबूब अली कैसर तो खुले आम कहते हैं कि एलजेपी में चेंज ऑफ लीडरशिप की ज़रूरत थी और वो हो रहा है. फिलहाल लोकसभा अध्यक्ष ने अभी पशुपति पारस को एलेजपी संसदीय दल के नेता का दर्ज नहीं दिया है, लेकिन जो कल तक चिराग के साथ थे, वो अब खुल कर कह रहे हैं कि पारस ही हमारे नेता हैं.


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अब सवाल ये है कि क्या पशुपति पारस अकेले LJP पर कब्जे की ताकत रखते थे? या पर्दे के पीछे उन्हें किसी ने मदद की. कांग्रेस का आरोप है कि जेडीयू ने एलजेपी में तोड़ में बड़ी भूमिका निभाई है. सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार भले ही बिहार के मुख्यमंत्री हैं लेकिन यहां की राजनीति में वो तीसरे नंबर पर हैं. लालू यादव के बाद बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार नंबर 1 थे, लेकिन उनको 3 नंबर पर लाने का श्रेय किसी को जाता है तो वो, चिराग पासवान को.
 
लालू यादव के शब्दों में कहें तो नीतीश कुमार के पेट में दांत है. मतलब नीतीश कुमार दोस्ती भले ही ठीक से नहीं निभाते लेकिन दुश्मनी भली-भांति और समय पर निभा देते हैं, इसी का नतीजा है ऑपेरशन LJP. इधर, जदयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह ये कहते भी हैं कि चिराग ने विधानसभा चुनाव में जेडीयू को डैमेज किया था, तो क्या ये समझा जाए कि ये जेडीयू बदला ले रही है?  
 
दरअसल, बिहार में नतीजों के बाद नीतीश कुमार BJP की अनुकंपा पर बिहार के CM बन गए. लेकिन उन्हें ये बात पची नहीं, सबसे पहले उन्होंने एलजेपी के एकलौते विधायक को अपने पाले में किया. फिर पहले से नाराज पशुपति पारस को साधा गया. 2 महीने से बीमार चल रहे चिराग पासवान को सर्दी खांसी बुखार ने जितना नुकसान नहीं पहुंचाया होगा, उतना उनके चाचा और चचेरे भाई ने पहुंचा दिया. फिलहाल चिराग के साथ खेला हो गया है.