बिहार के सोनपुर मेले में दिखी ग्रामीण महिलाओं में आए बदलाव की कहानी
मेले में आने वाले लोग भी सोनपुर के लिट्टी चोखा का स्वाद चख रहे है तो खगड़िया से पेड़ा तथा सुपौल और सिलाव से खाजा का लुत्फ उठा रहे हैं. मुजफ्फरपुर और नालंदा की लहठी चूड़ी लोगों को खासकर महिलाओं को आकर्षित कर रही हैं.
हाजीपुर: विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला इन दिनों पूरे शबाब पर है. इस मेले में प्रतिदिन सैकड़ों, हजारों लोग पहुंच रहे है. एक तरफ जहां कार्यक्रमों की धूम है तो दूसरी तरफ व्यवसाई अपने सामान बेचने में व्यस्त हैं. इस सोनपुर मेले में इस बार ग्रामीण महिलाओं के बदलाव की कहानी भी दिख रही है.
जीविका के माध्यम से प्रदेश की ग्रामीण क्षेत्रों की महिलायें आज न केवल घर की चौखट से बाहर निकल खुद को आर्थिक रूप से सबल बनाने में जुटी हैं. कल तक जो महिलाएं घर की चहारदीवारी में कैद थीं, उन्होंने कुशल उद्यमी की अपनी पहचान बना ली है. कुछ वर्षों पहले तक वह रोजगार के लिए पूर्णतया मजदूरी पर निर्भर थीं, लेकिन आज ये कई महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं.
मेले के ग्राम श्री मंडप में कुल 12 जिले से आयी जीविका वैदियों ने 36 स्टॉल लगाये है, जहां 18 अलग-अलग उत्पादित सामग्री की बिक्री की जा रही है. इस मंडप में हस्तनिर्मित वस्तुओं से लेकर भिन्न भिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री बनाकर महिलाएं अपने हुनर का परिचय दे रही है.
मेले में आने वाले लोग भी सोनपुर के लिट्टी चोखा का स्वाद चख रहे है तो खगड़िया से पेड़ा तथा सुपौल और सिलाव से खाजा का लुत्फ उठा रहे हैं. मुजफ्फरपुर और नालंदा की लहठी चूड़ी लोगों को खासकर महिलाओं को आकर्षित कर रही हैं तो कई तरह के अचार भी लोग खरीद रहे. कई कला कृतियां भी इन स्टौलों पर सजी हुई हैं.
एक अनुमान के मुताबिक, कार्तिक पूर्णिमा से प्रारंभ होकर एक महीने तक चलने वाले इस मेले में इन स्टॉलों से अब तक 30 लाख रुपए अधिक का व्यापार हो चुका है.
नालंदा से आई लहठी चूड़ी की स्टॉल लगाई महिला बताती हैं कि इसके लिए प्रशिक्षण मिला और सरकारी सहायता भी मिली, यही कारण है कि यह व्यवसाय अब आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि दो साल के कोरोना काल के बाद इस साल मेला लगा है, इस कारण लोग भी इस साल पहुंच रहे हैं.
(आईएएनएस)