Bihar Health Department: बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी द्वारा राज्य के स्वास्थ्य केंद्रों पर पैथोलॉजी सेवा के लिए खोले गए निविदा पर उठे विवाद अब पटना हाई कोर्ट तक पहुंच गया है. पहले से बिहार के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में पैथोलॉजिकल टेस्ट की सेवा दे रही कंपनी POCT सर्विसेज ने पटना ऊंच न्यायलय में एक याचिका दायर कर स्टेट हेल्थ सोसाइटी के टेंडर को रद्द करने की याचना की है.  POCT ने अपनी याचिका में कहा है कि पूरी टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी है और टेंडर की शर्तों को अनदेखा कर एक खास  कंपनी को वर्क आर्डर दिया जा रहा है.  उल्लेखनीय है कि स्टेट हेल्थ सोसाइटी बिहार ने इस टेंडर में एल 1 आने वाली कंपनी को रेट अलग अलग कोट करने के कारण टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर एल २ की कंपनी हिंदुस्तान वेलनेस को लेटर ऑफ़ इंटेंट जारी कर दिया है.  POCT ने हाई कोर्ट में हिंदुस्तान वेलनेस की तकनीकी योग्यता को चुनौती दी है और यह दावा किया है की हिंदुस्तान वेलनेस टेंडर की शर्तों को पूरा नहीं करती. POCT की याचिका नंबर CWJC, 25376/2024 पर सुनवाई छठ की छुट्टी के तुरंत बाद होने की संभावना है.  


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POCT ने पटना हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि हिंदुस्तान वेलनेस प्राइवेट लिमिटेड, जिसे निविदा मूल्यांकन प्रक्रिया में एल2 के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें प्रतिवर्ष 20 लाख परीक्षणों की अपेक्षित परीक्षण क्षमता नहीं  है, जबकि निविदा दस्तावेज के खंड V, खंड 2.4 के तहत निर्धारित शर्तों में 20 लाख परीक्षण की क्षमता होना एक प्रमुख आवश्यकता है. इस अनिवार्य क्षमता के बिना किसी भी कंपनी के लिए निविदा प्रक्रिया में आगे भाग लेना मुश्किल है  बिहार वित्तीय नियमों में उल्लिखित पात्रता मानदंडों का सख्त पालन यह सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है कि केवल सक्षम बोलीदाताओं को ही आगे बढ़ने की अनुमति दी जाए जो निविदा की आवश्यकताओं का पूरी तरह से पालन कर सकते हैं.


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POCT ने अपनी याचिका में यह कहा है कि हिंदुस्तान वेलनेस प्राइवेट लिमिटेड की बोली को गैर-अनुपालन योग्य है,  इसलिए इसे सफल बिडर के रूप में घोषित नहीं किया जा सकता.  ऐसे बोलीदाता को निविदा प्रक्रिया में आगे बढ़ने की अनुमति का सीधा मतलब है  बिहार राज्य भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को दी जाने वाली पैथोलॉजी सेवाओं की गुणवत्ता से खिलवाड़ करना है. बता दें कि 23 अक्टूबर से ही बिहार स्वास्थ्य विभाग के खुले टेंडर में गड़बड़ी की खबर आ रही है.  इस टेंडर में भाग लेने वाले सात कंपनियों में से छह का कहना है कि स्वास्थ्य समिति ने पैथोलॉजी सर्विसेज के लिए जो वित्तीय टेंडर 23 अक्टूबर को देर शाम खोले थे, उनमें एल 1 आने वाली कंपनी साइंस हाउस  के फाइनेंसियल बिड में काफी असमानताएं है.  खोले गए टेंडर में इस कंपनी ने अलग अलग जगह पर अलग अलग रेट डाले हैं.  


इस टेंडर में शामिल अन्य कंपनियों ने जब इस  मुद्दे को उठाया तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बंगले झांकते नजर आये और लगभग डेढ़ घंटे बाद यह कह कर सभी कंपनियों को बाहर भेज दिया कि इस मुद्दे को टेंडर कमिटी देखेगी और जो भी निर्णय होगा, उसे वेबसाइट पर डाल दिया जायेगा. सबसे बड़ी अनिमियतता यह नजर आई कि स्वास्थ्य विभाग ने टेंडर खुलने के बाद कार्रवाई शीट पर किसी का भी दस्तखत नहीं करवाया और अधिकारी आनन फानन में कार्रवाई समाप्त करते नजर आए.  बता दें कि बिहार स्वास्थ्य समिति ने सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर पैथोलॉजी जाँच के लिए निविदा निकाले थे, जिसकी अंतिम तिथि 3 अक्टूबर थी.   एनआईटी संख्या 09/SHSB/ पैथोलॉजी सर्विसेज /2024 -25 के तहत 7 कंपनियों को तकनिकी रूप से सक्षम पाया गया  था.  23 अक्टूबर 2024 को शाम 5 बजे इनका फाइनेंसियल बिड खोला गया और साइंस हाउस कंपनी को एल 1 बताया गया.   जब यह फाइनेंसियल बिड खुल रहा था तो इस निविदा में भाग लेने वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों ने देखा कि साइंस हाउस के विड में अलग अलग जगह अलग अलग रेट कोट किये गए हैं.  


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साइंस हाउस ने दो शीट पर 1 परसेंट डिस्काउंट का फिगर डाला था तो एक शीट पर  77 परसेंट डिस्काउंट का. उस समय यह भी देखा गया कि विड खोलने वाले अधिकारी मैनुअली 1 परसेंट वाले शीट को 77 परसेंट करते नजर आये.  जब अन्य प्रतिभागियों ने इस पर आपत्ति दर्ज कराइ तो सभी अधिकारी ईडी के कमरे में चले गए और लगभग एक घंटे बाद एक अधिकारी से यह कहलाया गया कि इस आपत्ति पर स्वास्थ्य समिति विचार करेगी और जो भी निर्णय होगा, वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा. अधिकारियों ने उस समय लिखित आपत्ति को लेने से भी मना कर दिया, लेकिन इस निविदा में भाग लेने वाली कंपनियों ने ई मेल के जरिये आपत्ति विभाग को भेज दी. बाद में खुद स्टेट हेल्थ सोसाइटी,  बिहार ने माना कि साइंस हाउस को लेकर दर्ज कराई गई आपत्ति सही थी और उसे निविदा प्रक्रिया से बाहर करते हुए निविदा मूल्यांकन प्रक्रिया में एल2 के रूप में आई कंपनी हिंदुस्तान वेलनेस प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में पत्र जारी कर दिया. अब मामला हाई कोर्ट में है और इस टेंडर का भविष्य वही से तय होना है.


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