ISRO के विकास सूचकांक अध्ययन में बिहार पूरे देश में बिजली के क्षेत्र में रिकॉर्ड 474 प्रतिशत वृद्धि के साथ अव्वल!
बिहार की यह असाधारण उपलब्धि निश्चित रूप से विद्युत के क्षेत्र में पिछले एक दशक में सुदृढ़ीकरण और विस्तार के लिए व्यापक स्तर पर किए गये कार्यों का प्रतिफल है.
पटना : पिछले दशक (2012-2021 ) के लिए ISRO के National Remote Sensing Centre (NRSC) द्वारा तैयार किये गये Night Time Light Atlas (NTL Atlas) के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर औसतन 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जबकि बिहार राज्य में यह वृद्धि 474 प्रतिशत की रही है जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे आगे है. NRSC के द्वारा NASA एवं NOAA (National Oceanic and Atmospheric Administration) के आकड़ों के आधार पर उपरोक्त सूचकांको को तैयार किया गया है.
बिहार की यह असाधारण उपलब्धि निश्चित रूप से विद्युत के क्षेत्र में पिछले एक दशक में सुदृढ़ीकरण और विस्तार के लिए व्यापक स्तर पर किए गये कार्यों का प्रतिफल है. बड़े राज्यों में पिछले एक दशक में बिहार के बाद यह वृद्धि केरल में 119 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 66 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 61 प्रतिशत एव गुजरात में 58 प्रतिशत हैं. ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि बिहार ने पिछले एक दशक में किस रिकॉर्ड गति से विद्युत सुधार की दिशा में कार्य किया है.
बिहार के माननीय मुख्यमंत्री ने वर्ष 2012 में ही राज्य के बिजली की स्थिति में सुधार के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता प्रकट किया था. तदुपरांत 2012 में ही तदेन बिहार राज्य विद्युत बोर्ड को पुनर्गठित कर पांच विद्युत कम्पनियों का गठन किया गया. राज्य सरकार ने राज्य में विद्युत सुधार की परियोजनाओं को प्राथमिकता पर कार्यान्वित करने में न केवल प्रशासनिक व वित्तीय सहायता प्रदान किया है बल्कि विद्युत उपभोक्ताओं के सुविधाओं के लिए भी अनेक सकारात्मक कदम उठाए गए हैं.
ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव संजीव हंस ने बताया कि ISRO द्वारा जारी किए "Decadal Change of Night Time Light (NTL) over India from Space (2012-2021) के आंकड़े वैज्ञानिक विश्लेषणों के बाद तैयार किये गए हैं. बिहार के द्वारा जो 474 प्रतिशत की वृद्धि प्रदर्शित किया गया है वह यह स्पष्ट करता है कि राज्य में 24x7 विद्युत उपलब्धता के लिए राज्य की विद्युत कम्पनियां सतत् प्रयासरत हैं.
ये भी पढ़िए- तकनीकि सेवा आयोग के अभ्यर्थियों ने मांगा रिजल्ट या इच्छा मृत्यु, जानिए क्या है मामला