बिहार विश्वविद्यालय में दिसंबर 2022 तक भरे जाएंगे असिस्टेंट प्रोफेसर के पद
बिहार के परंपरागत विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों की कमी कई दशकों से है. कई सत्र प्रोफेसरों के पढ़ाई के बगैर ही खत्म हो गए लेकिन खत्म नहीं हुआ तो शिक्षकों की नियुक्ति का इंतजार है.
पटना : बिहार के विश्वविद्यालयों में लाखों छात्रों की पढ़ाई भगवान भरोसे है. कई पीढ़ियां सिर्फ इस बात का इंतजार करती रहीं कि, कब उन्हें प्रोफेसरों, लेक्चर, अस्टिटेंट प्रोफेसरों से पढ़ने का मौका मिलेगा, लेकिन ये इंतजार कब खत्म होगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है. तमाम विश्वविद्यालयों में अस्टिटेंट प्रोफेसरों के पद भारी संख्या में खाली पड़े हैं. हालांकि राज्य के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने दावा किया है कि, दिसंबर 2022 तक अस्सिटेंट प्रोफेसर्स की चल रही बहाली हर कीमत में पूरी हो जाएगी. फिलहाल विश्वविद्यालय सेवा आयोग पिछले दो सालों से अस्सिटेंट प्रोफेसर के 4600 पदों पर चल रही बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं कर सका है.
बिहार में कई दशकों से प्रोफेसरों की है कमी
बिहार के परंपरागत विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों की कमी कई दशकों से है. कई सत्र प्रोफेसरों के पढ़ाई के बगैर ही खत्म हो गए लेकिन खत्म नहीं हुआ तो शिक्षकों की नियुक्ति का इंतजार है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर बिहार की परंपरागत यूनिवर्सिटी से निकलने वाले ऐसे छात्रों का सामना जब देश की बड़ी यूनिवर्सिटी के छात्रों से होगा तब क्या होगा. क्या बड़ी प्रतिस्पर्धा और आयोजन के सामने बिहार के छात्र टिक सकेंगे. जवाब है नहीं. पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय से लेकर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय तक इन सभी में शिक्षकों की भर्ती पिछले कई दशकों से नहीं हुई है. हालांकि पटना और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में अतिथि शिक्षकों की बहाली हो रही है. पटना यूनिवर्सिटी में अतिथि शिक्षक की बहाली पूरी हो चुकी है. यहां के डीन डॉक्टर अनिल कुमार के मुताबिक, अतिथि शिक्षकों की बहाली के बाद अब विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी नहीं रह गई है.
दिसंबर 2022 तक सभी 4600 पदों को भरने का आदेश
राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की तरफ से अब सहायक प्राध्यापकों यानि अस्सिटेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति में तेजी आ गई है. कई विश्वविद्यालयों को शिक्षक मिले हैं लेकिन हालात में ज्यादा सुधार नहीं आया है. इसी बीच शिक्षा विभाग ने राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग को दिसंबर 2022 तक सभी 4600 पदों को भरने का आदेश दिया है. राज्य के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के मुताबिक, शिक्षकों की कमी चिंता का विषय है लेकिन इस कमी को दूर कर लिया जाएगा. दिसंबर 2022 तक सभी खाली पदों को भरना ही होगा. पहले बिहार में अस्टिटेंट प्रोफेसर्स की भर्ती बिहार लोक सेवा आयोग के जरिए होती थी, लेकिन अब ये भर्ती राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के जरिए हो रही है. बता दें कि शिक्षकों के खाली पदों का असर न सिर्फ पढ़ाई पर पड़ता है बल्कि यूजीसी से मिलने वाला फंड भी इससे प्रभावित होता है. क्योंकि जब नैक की टीम मूल्यांकन के लिए पहुंचती है और उसे ये जवाब मिलता है कि हमारे यहां पढ़ाने वाले प्रोफेसर ही नहीं है तो सवाल सिर्फ संबंधित विश्वविद्यालयों पर ही नहीं बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था पर उठता है.
इनपुट- प्रीतम कुमार