पटनाः Janmashtami 2022: जन्माष्टमी के पर्व के साथ श्रीकृष्ण की गाथा जुड़ी हुई है, इसी के साथ कई रहस्य भी इस कथा में शामिल हैं. जैसे श्रीकृष्ण का जन्म बहुत आसान नहीं था. उस समय की परिस्थितियां बहुत विपरीत थीं. सबसे कठिन था कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म. असल में भविष्यवाणी के अनुसार देवकी और वसुदेव की आठवीं संतान के जरिए कंस का वध होने वाला था. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

शेषनाग थे श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम
इधर, शेषनाग को भगवान कृष्ण के बड़े भाई के रूप में जन्म लेना था. अगर उनका देवकी के गर्भ से जन्म होता तो कंस जरूर उनका वध कर देता, या ऐसा करने की कोशिश जरूर करता. ऐसे में बलराम का जन्म वसुदेव की पहली पत्नी रोहिणी के गर्भ से हुआ था, लेकिन रोहिणी उस समय गर्भवती नहीं हुई थीं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, रातों-रात देवकी के गर्भ से उन्हें खींचकर रोहिणी के गर्भ में स्थापित किया गया था. यह कुछ ऐसा है, जिसे आज के विज्ञान की भाषा में सरोगेसी कहा जाता है, जहां एक कोई अन्य महिला, किसी दंपती के शिशु को अपने गर्भ में रखकर उसे तय समय के बाद जन्म देती है. 


कौन हैं रोहिणी देवी
पौराणिक कथा में देवी रोहिणी के जन्म का भी रहस्य भी बताया गया है. असल में शेषनाग भले ही देवकी के गर्भ में पहले आए हों, लेकिन उनका जन्म रोहिणी के गर्भ से हो सकता था. इसका रहस्य रोहिणी के पूर्व जन्म से जुड़ा हुआ है. असल में रोहिणी देवी, अपने पूर्व जन्म में कश्यप ऋषि की पत्नी कद्रू थीं. कद्रू ने ही सृष्टि की शुरुआत में नागों को जन्म दिया था. शेषनाग का जन्म भी उनके ही गर्भ से हुआ था. वह नागमाता के बड़े पुत्र के रूप में जन्मे थे. यही वजह थी कि उनका जन्म रोहिणी के गर्भ से हुआ. देवकी के गर्भ से खींचे जाने के कारण ही बलराम का एक नाम संकर्षण है. संकर्षण का अर्थ है, जिसे गर्भ से सुरक्षित खींचा गया हो.